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सिखों की सुप्रीम कोर्ट श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा किया गया फैसला सराहनीय- तारा सिंह

जमशेदपुर: श्री अकाल तख्त द्वारा पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को सिख विरोधी गतिविधियों के लिए धार्मिक सजा सुनाये जाने पर शहर के सिख बुद्धजीवियों की लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। सोनारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सह झारखंड सिख समन्वय समिति के अध्यक्ष सरदार तारासिंह के अनुसार श्री अकाल तख्त को ये फैसला बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था।

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अब जिस तरह से सुखबीर सिंह बादल ने अपने गुनाहों को कबूल किया। उन्हें प्रशासनिक सजा भी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख्त को भारतवर्ष में जहाँ जहाँ भी गुरुद्वारा कमेटियों में विवाद है उसका संज्ञान भी लेना चाहिए।

सरदार तारासिंह ने पांच सिंह साहिबान द्वारा अकाली दल के पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल और उनके कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ लिए गए कठोर निर्णय का स्वागत किया है। श्री अकाल तख्त साहब के स्थापना के 418 वर्ष पर पांच सिंह साहिबान जत्थेदारों ने सोमवार के फैसले से साबित किया है कि श्री अकाल तख्त महान है और सिख पंथ की शान है। बड़े से बड़े व्यक्ति यदि कौम और पंथ के प्रति दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ फैसला लेने में किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाती है। कौम के जत्थेदारों के फैसले ने प्रत्येक सिख का शीश गर्व से ऊंचा एवं सीना चौड़ा कर दिया है।


बाबा राम रहीम को माफीनामा देकर जिन जत्थेदारों ने गलती की थी उन्हें भी बख्शा नहीं जाना चाहिए।
इस फैसले ने जत्थेदार साहिब को नई ऊर्जा एवं ताकत दी है कि दुनियावी ताकत के आगे नहीं झुकना है और फैसले लेने में संकोच नहीं करना है।
तारासिंह ने आगे कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले ने साबित कर दिया कि सिख पंथ को नुकसान देने वालों का बख्शा नहीं जा सकता। चाहे वो कितना ही रसूखदार हो या वो बड़े राजनीतिक दल से हो।

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