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‘सफर-ए-शहादत’ का चौथा दिन: साहिबजादों के सम्मान में साकची गुरुद्वारा में उमड़ी संगत

गुरु गोबिंद सिंह महाराज की शख्सियत की महानता को शब्दों में बयान करना नामुमकिन: उधोके

सिख धर्म के महान पंथ प्रचारक डॉ सुखप्रीत सिंह उधोके ने सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह महाराज जी के बारे ज्ञान साझा करते हुए साकची गुरुद्वारा मैदान में कहा- उनकी शख्सियत को शब्दों में बयान करना नामुमकिन है क्योंकि उनकी शख्सियत है ही इतनी महान है। सरवंश दानी गुरु गोबिंद सिंह ने सबसे सर्वोच्च बलिदान देकर मानवता और धर्म की रक्षा की है।

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डॉ सुखप्रीत सिंह उधोके मंगलवार को ‘सफर-ए-शहादत’ के चौथे दिन दिवान में हाजरी भरने आयी संगत से गुरु गोबिंद सिंह की महान शख्सियत उनके त्याग, बलिदान और वीरता का कथा वाचन कर रहे थे।
डॉ. उधोके ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि चार दिन के इस विशेष समागम में प्रत्येक दिन किसी एक विषय पर संगत को इतिहास बताएंगे। इस कड़ी में पहले दिन गुरु गोबिंद सिंह जी शख्सियत के बारे में दूसरे दिन आनंदपुर साहिब का इतिहास, तीसरे दिन सरहिंद का इतिहास और चौथे दिन साहिबजादों की शहीदी का इतिहास संगत को सुनायेंगे।

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डॉ उधोके ने इतिहास के पन्नो से गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की महानता के कई पहलुओं का जिक्र करते हुए उनकी महानता के कई किस्से सुनाए। गुरु गोबिंद सिंह महाराज का गौरवशाली इतिहास सुनकर संगत “जो बोले सो निहाल, सतश्रीअकाल” का उद्घोष गर्मजोशी से करती रही।
बड़ी संख्या में संगत की उपस्थिति देख कर अभिभूत हुए सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह ने संगत का आभार प्रकट करते हुए कहा वे शुक्रगुजार हैं गुरप्यारी संगत के, क्योंकि उनकी विनती को सम्मान देते हुए संगत सिख इतिहास से अवगत होने के लिए अपने साथ बच्चों को भी संगम में लेकर आयीं।


इससे पूर्व, साकची गुरुद्वारा मैदान रहरास के पाठ के उपरांत में शाम के दिवान में भाई गुरप्रीत सिंह निक्कू, प्रभजोत सिंह मन्नी एवं बीबी रविंदर कौर ने सबद कीर्तन “गुरु गोबिंद वाहेगुरु वाहेगुरु जापदे रहे, साहमणे शहीद हूंदे ताकते रहे….” और मीत्र प्यारे नू हाल मुरीदाँ का कहणा शब्द गायन कर संगत को निहाल किया।
श्री गुरुद्वारा सिंह सभा मानगो, गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, साकची और समूह साध संगत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस विशेष समागम में कोल्हान के विभिन्न गुरुद्वारों के प्रधान पहुंचे थे। भगवान सिंह के अलावा सरदार शैलेंद्र सिंह, गुरचरण सिंह बिल्ला, जसवंत सिंह जस्सू, परमजीत सिंह काले, सुखदेव सिंह बिट्टू, सुखवंत सिंह सुक्खु, चंचल सिंह, गुरनाम सिंह बेदी, बलविंदर सिंह, परमजीत सिंह रोशन, जगतार सिंह नागी समेत सिख समाज की कई गणमान्य व्यक्तियों ने समागम में शिरकत की।

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