jamshedpur-बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह की शहादत प्राप्ति का इतिहास बताया डॉ उधोके ने,know more about it.
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‘सफर-ए-शहादत’ का छठा दिन: गुरु गोबिंद और बड़े साहिबजादों की अंतिम मिलन के मार्मिक पक्ष को सुन भावुक हुई संगत
शहीदी सप्ताह के छठे दिन जब पंथ प्रचारक डॉ सुखप्रीत सिंह उधोके ने जब बड़े साहिबज़ादों बाबा अजीत सिंह, जुझार सिंह और गुरु गोबिंद सिंह महाराज की अंतिम मुलाक़ात का किस्सा जीवंत अंदाज़ में सुनाया तब संगत पूरे जोश के जयकारे लगाती रही साथ ही गमगीन होकर भाव विभोर भी हो उठी।
साकची गुरुद्वारा मैदान में चल रहे ‘सफर-ए-शहादत’ के विशेष समागम में गुरुवार को डॉ सुखप्रीत सिंह उधोके ने जब चमकौर की गढ़ी में गुरु गोबिंद सिंह महाराज जंग में जाने से पहले अपने साहिबजादों की अंतिम मुलाकात का मार्मिक इतिहास संगत के सामने पेश किया। साथ ही सिख इतिहास के शहीद बचितर सिंह समेत अन्य शहीदों की शहीदीगाथा का वर्णन किया। इससे पूर्व जमशेदपुर के रविन्द्र कौर ढाढ़ी जत्था ने संगत को वीर रस की गौरवशाली रचनाये सुनाकर संगत को धार्मिक जोश में भर दिया। उपरांत हजूरी रागी गुरुद्वारा साहिब साकची के संदीप सिंह जवड्डी ने “सूरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हेत, पुर्जा पुर्जा कट मरे कबहुँ ना छाड़े खेत” और “लाल शहीदी पा गए, दो चमकौर दी जंग दे विच ते दो सरहिंद दे विचकार” सबद गायन कर गुरबानी की पवित्र बयार बहायी।
साकची गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अमृतपाल सिंह मन्नन ने इतिहासिक विचार साझा करते हुए चारों साहिबज़ादों के धर्म के प्रति प्रेम और धर्म की रक्षा की भावना का पूरा अध्याय बहुत ही रोचक तरीके संगत को सुनाया। सीजीपीसी के उपाध्यक्ष चंचल सिंह ने भी अपने अंदाज़ में सिख इतिहास के कई अनछुए पहलुओं को विस्तार पूर्वक बताया। गुरु गोबिंद सिंह महाराज का गौरवशाली इतिहास सुनकर संगत “जो बोले सो निहाल, सतश्रीअकाल” के जयकारे लगातार लगाती रही।
आज ही के छोटे साहिबजादों को सूबे की कचहरी में दूसरी बार पेश किया गया था जहाँ जालिम नवाब वजीर खान ने दोनों छोटे साहिबजादों को जिन्दा दीवारों में चुनवा देने का हुक्म सुनाया था। गौर करने वाली बात है कि वर्ष की शुरुआत दसम पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज जी के प्रकाश दिहाड़े से होती है और वर्ष का अंत परिवार के बलिदान से होता है।
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गुरुद्वारा सिंह सभा मानगो, गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, साकची और समूह साध संगत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस विशेष समागम में कोल्हान के विभिन्न गुरुद्वारों के प्रधान पहुंचे थे। भगवान सिंह के अलावा सरदार शैलेंद्र सिंह, गुरचरण सिंह बिल्ला, परबिंदर सिंह सोहल, जसवंत सिंह जस्सू, परमजीत सिंह काले, सुखदेव सिंह बिट्टू, सतवीर सिंह सोमू, अर्जुन सिंह वालिया, सुखवंत सिंह सुक्खु, चंचल सिंह, गुरनाम सिंह बेदी, कुलविंदर सिंह पन्नू, सुखविंदर सिंह राजू, जगतार सिंह नागी समेत सिख समाज की कई गणमान्य व्यक्तियों ने समागम में शिरकत की।
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