jamshedpur-शहीद बाबा दीपसिंह गुरुद्वारा सीतारामडेरा में श्री गुरु रामदास जी का प्रकाशोत्सव 19 को मनाया जाएगा।know more about it.
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शहीद बाबा दीपसिंह गुरुद्वारा सीतारामडेरा में श्री गुरु रामदास जी का प्रकाशोत्सव 19 को मनाया जाएगा।
जमशेदपुर: सीतारामडेरा स्थित गुरुद्वारा शहीद बाबा दीपसिंह जी के पावन स्थान पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं समूह संगत के सहयोग से श्री गुरु रामदास जी का प्रकाशोत्सव दिनांक 19-10-2024 दिन शनिवार को बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाएगा।
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ये समाचार आप गौरीशंकर रोड गुरुद्वारा स्त्री सत्संग सभा की प्रधान बीबी इंद्रजीत कौर जी टिम्पी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तार कंपनी, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मानगो, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टिन प्लेट, सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जमशेदपुर, जमशेदपुर ट्रक ट्रेलर एशोसिएशन, सिख विजडम, मोशन ऐजूकेशन जमशेदपुर,दुपट्टा सागर बिस्टुपुर, के सहायता से प्राप्त कर रहे हैं।
इस संबंध में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव सरदार अविनाश सिंह ने संवाददाता को बताया कि सिखों के चौथे गुरु श्री गुर रामदास जी के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य पर गुरुद्वारा साहिब में 17 अक्टूबर को सुबह 9 बजे श्री अखंड पाठ साहिब आरंभ किया जाएगा।जिसका समापन 19 अक्टूबर को सुबह 8 बजे होगा।
उसके उपरांत 9:30 बजे तक गुरबाणी किर्तन प्रोग्राम होगा। और कार्यक्रम की समाप्ति पर संगत के बीच नाश्ते का लंगर वरताया जाएगा।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों ने संगत से अनुरोध किया करते हुए कहा कि संगत कार्यक्रम में समयानुसार पहुंचकर गुरु घर की खुशियाँ प्राप्त करें।
जानें गुरु रामदास और उनके कार्यों के बारे में
गुरु रामदास सिखों के चौथे गुरु थे और उनका जन्म 9 अक्टूबर 1534 में हुआ था. उन्होंने अपने समय में कई ऐसे काम किए जिससे सिखों का मार्गदर्शन हुआ और इस प्रथा को कैसे आगे बढ़ाना है का भी पता चला. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं गुरु रामदास जी के बारे में
गुरु रामदास जी के बचपन का नाम जेठा था. इनका जन्म 9 अक्टूबर, 1534 को चूना मंडी जो अब लाहोर में है, हुआ था. इनके पिता हरिदास और माता अनूप देवी जी थी. गुरु रामदास जी का विवाह गुरु अमरदास जी की पुत्री बीबी बानो से हुआ था. जेठा जी की भक्ति भाव को देखकर गुरु अमरदास ने 1 सितम्बर 1574 को गुरु की उपाधि दी और उनका नाम बदलकर गुरु रामदास रखा. यानी रामदास जी ने सिख धर्म के सबसे प्रमुख पद गुरु को 1 सितम्बर, 1574 ई. में प्राप्त किया था और इस पद पर वे 1 सितम्बर, 1581 ई. तक बने रहे थे. उन्होंने 1577 ई. में ‘अम्रत सरोवर’ नामक एक नये नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
गुरु रामदास जी ने सिख धर्म के लोगो के विवाह के लिए आनंद कारज 4 फेरे (लावा) की रचना की और सिक्खों को उनका पालन और गुरुमत मर्यादा के बारे में बताया. यानी गुरु रामदास जी ने सिक्ख धर्म के लिए एक नयी विवाह प्रणाली को प्रचलित किया.
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