jamshedpur-अकाल तख्त के आदेश का पालन करते हुए इस बार दिवाली और बंदी छोड़ दिवस पर बिजली की सजावट से परहेज करें सिख-सरदार तारा सिंह know more about it.
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Daily Dose News
झारखंड सिख समन्वय समिति के अध्यक्ष सह सोनारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य सेवादार सरदार तारा सिंह ने कहा कि इस बार दिवाली और बंदी छोड़ दिवस 1 नवंबर को पड़ रही है। और 1984 में 1 नवंबर से 4 नवंबर तक सिख विरोधी दंगे हुए। और पूरे भारत में सिखों का कत्लेआम किया गया।बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। उन शहीदों की याद में सिखों की सर्वोच्च संसद श्री अकाल तख्त साहिब के ज्ञानी रघुबीर सिंह ने देश और दुनिया के सभी सिख समुदाय के लोगों को आदेश जारी किया है कि इस दिन सिर्फ दरबार साहिब एवं अकाल तख्त साहिब में ही सजावट होगी। बाकी किसी गुरुद्वारे में सजावट नहीं होगी। गुरुद्वारों और घरों में 1984 के शहीदों की याद में घी के दिये जलाएं।सरदार तारा सिंह ने श्री अकाल तख्त के इस फरमान का समर्थन करते हुए सिख समुदाय से आग्रह किया कि वह इस बार घरों में 1984 के शहीदों की याद में घी के दिये जलाएं। किसी प्रकार की बिजली की सजावट न करें।
क्योंकि 31 अक्टूबर से 4 नवंबर तक 1984 के सिख नरसंहार के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है और इस साल दिवाली, बंदी छोड़ दिवस इसी दौरान पड़ रहे हैं।
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क्या है बंदी छोड़ दिवस
बंदी छोड़ दिवस सिखों का मुख्य त्योहार है। यह दिवाली के दिन मनाया जाता है। 20वीं सदी से सिख धार्मिक नेताओं ने दीपावली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाना शुरू किया। यह गुरु हर गोबिंद जी की जेल से रिहाई का प्रतीक है। इस दिन सिख समुदाय विशेष उत्सव आयोजित करते हैं।
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