jamshedpur- सिख -हिन्दू नहीं- jaswant singh bhoma,know more about it.
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सिख -हिन्दू नहीं
सिख और हिन्दुओं में समानता के विषय के सम्बंध में पिछले दिनों डेली डोज़ न्यूज़ चैनल द्वारा अपने पाठकों और सिख बुद्धजीवियों से सवाल किया गया था। जिसमें जमशेदपुर के रहने वाले CGPC के भूतपूर्व महासचिव सरदार जसवंत सिंह भोमा की इस संबंध में प्रतिक्रिया आई। उनका कहना है कि सिख -हिन्दू नहीं है। आज से 550 वर्ष पहले सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी ने हिंदु धर्म का पवित्र जनेऊ न पहन कर साबित कर दिया था क्योंकि सभी हिंदु धर्मावलंबियों को मालूम है किसी भी बच्चे को जनेऊ पहनाकर ही हिन्दू धर्म में प्रवेश कराया जाता है जिसे उपण्यन कहते हैं जैसे मुस्लिम धर्म में बच्चों का खतना किया जाता है और सिख धर्म में बच्चा या बच्ची को पैदा होने के 13वें दिन गुरुद्वारा साहिब के ग्रन्थि जी के द्वारा अमृतपान करवाया जाता है।
सिखों के 10 गुरु साहिबान हुए और सिख एक गुरु आदि गुरु श्री गुरु ग्रन्थ साहिब को पूजते हैं और हर गुरुद्वारे में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब का ही प्रकाश होता है जबकि हिंदुओं के मंदिरों में अलग अलग देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा होती है और उसके ठीक विपरीत सिख धर्मावलम्बी मूर्ति पूजा नहीं करते हैं।
ये समाचार आप गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी, दुपट्टा सागर बिस्टुपुर, के सहायता से प्राप्त कर रहे हैं।
सिख अपने बच्चे या बच्ची का नामकरण गुरुद्वारा साहिब में जाकर श्री गुरु ग्रन्थ साहिब से मिले हुक्मनामा के पहले अक्षर से रखता है जैसे लड़के का नाम अमरजीत सिंह और लड़की का नाम अमरजीत कौर जबकि हिन्दू धर्म में पंडित जी राशि जाति और गौत्र के हिसाब से नाम रखवाते हैं।
सिख धर्म में स्त्रियों को बराबर का सम्मान दिया जाता है लेकिन हिन्दुओ में ऐसा नहीं है।हिन्दुओ में आज भी दहेज प्रथा है लेकिन सिखों में शुरू से ही नहीं रही है।
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सिख धर्म में गुरुद्वारा साहिब के पुजारी(ग्रन्थी जो) के लिए जाति का आधार नहीं है वो अमृतधारी पाँच ककारों का धारणी और पक्का नितनेमी होना चाहिये लेकिन हिन्दु धर्म में ब्राम्हण के सिवाय कोई भी पुजारी नहीं बन सकता है यहाँ तक कि छोटी जाति के लोगों को गर्भगृह में भी जाने की इजाज़त नहीं है इसका ताजा उदाहरण है हमारे देश की राष्ट्रपति श्री मती द्रोपदी मुर्मू जी।
ਇਹ ਖਬਰ ਤੁਸੀਂ ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੀਤਾਰਾਮਡੇਰਾ,ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸਾਕਚੀ, ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੋਨਾਰੀ, ਦੁਪਟਾ ਸਾਗਰ ਬਿਸਟੁਪੁਰ ਦੇ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਪਾ੍ਪਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਜੀ।
सिख धर्म में पुरुषों के नाम पर सिंह लिखा जाता है और स्त्रियों के नाम के बाद कौर लिखा जाता है जिससे किसी भी वर्ण या गोत्र का एहसास नहीं होता है जबकि हिन्दु धर्म में पंडित के द्वारा जाति ,वर्ण ,और राशि के अनुसार नामकरण किया जाता है।
सिख धर्म में पाँच प्यारे (सिंह साहिबान) गुरुद्वारे में पाँच गुरूबाणी का पाठ पढ़ करअमृत तैयार कर सभी को एक बाटे(बर्तन) में अमृत पान करवाते हैं जबकि हिन्दु धर्म में ऐसा नहीं होता है ।
[jaswant singh bhoma former G. Secretary cgpc]