amazing-जब जमशेदजी टाटा की हुई बेइज्जती, तो ऐसे लिया बदला।know more about it.
amazing
DAILY DOSE NEWS

3rd/Mar/2024
टाटा ग्रुप पर भारत के लोगों का वर्षों से अटूट भरोसा रहा है। नमक से लेकर ट्रक तक बनाने वाले टाटा ग्रुप का इतिहास 150 साल से भी ज्यादा पुराना है। आज टाटा ग्रुप के जनक जमशेदजी टाटा का जन्मदिन है। आईए आपको बताते हैं जमशेदजी टाटा ने कैसे कारोबार की शुरुआत की थी। किस तरह से होटल ताज की नींव पड़ी।
जमशेदजी का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के छोटे से कस्बे नवसारी में हुआ था। उनके पिता का नाम नौशेरवांजी एवं उनकी माता का नाम जीवनबाई टाटा था। पारसी पादरियों के खानदान में नौशेरवांजी पहले व्यवसायी थे। जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही पिताजी का साथ देने लगे। जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई डाबू के साथ विवाह बंधन में बंध गए। वह 1858 में स्नातक (Graduate) हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गये।
जमशेदजी टाटा ने साल 1868 में 21 हजार रुपयों से अपना खुद का बिजनस शुरू किया था। जमशेदजी ने सबसे पहले एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया। इसका नाम बाद में बदलकर एलेक्जेंडर मिल रखा। दो साल बाद उन्होंने इसे खासे मुनाफ़े के साथ बेच दिया। इस पैसे के साथ उन्होंने नागपुर में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया था। महारानी विक्टोरिया ने उन्हीं दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा था।
https://t.me/dailydosenews247jamshedpur
जमशेदजी टाटा अपने एक व्यापारी मित्र के निमंत्रण पर मुंबई के काला घोड़ा इलाके में एक होटल गए थे। लेकिन यहां पर होटल के गेट से ही उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया गया कि यहां सिर्फ ‘गोरे’ लोग यानी अंग्रेजों को ही एंट्री मिलती है। जमशेदजी टाटा उस वक्त तो अपमान का घूंट पीकर रह गए, लेकिन उन्होंने इस बेइज्जती का बदला लेने का प्रण लिया। उन्होंने फैसला किया कि ऐसा होटल बनाएंगे जहां न केवल भारतीय बल्कि विदेशी भी बिना किसी रोक-टोक के आ-जा सकेंगे। यहीं से शुरुआत हुई होटल ताज की।
content source by: social media