parkash parv-सीजीपीसी प्रधान सरदार भगवान सिंह ने सिखों के आचरण और किरदार के महत्व का संगत को सुन्दर संदेश दिया।know more about it.
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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व के अवसर पर सीजीपीसी प्रधान सरदार भगवान सिंह ने सिखों के आचरण और किरदार के महत्व का संगत को सुन्दर संदेश दिया।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व के अवसर पर सीजीपीसी प्रधान स. भगवान सिंह ने सिखों के आचरण और किरदार के महत्व को संगत से साझा करते हुए कहा कि एक सिख का चरित्र कैसा होना चाहिए?उन्होंने हरि सिंह नलुआ के जीवन की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना से सीख मिलती है,
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हरि सिंह नलुआ के डर से गुलफान खान अपना महल छोड़कर पहाड़ों में छिप जाता है वहाँ उसकी पत्नी जिसका नाम बानो था। कहती है जिससे तुम डरकर छिपे हुए हो मैं उससे मिलना चाहती हूँ। बहुत जिद करने पर गुलफान खान उसे इजाजत दे देता है। जब बानो हरि सिंह नलुवा से मिलने जाती है उस वक्त हरि सिंह नलुवा जी नित्तनेम का पाठ कर रहे होते हैं। नित्तनेम करने बाद वो बानो से मिलने आते हैं। बानो ने हरि सिंह नलुवा से सवाल किया आप कौन हैं। उन्होंने जवाब दिया मैं गुरु नानक देव जी का सिख हूँ।
बानो ने कहा कि गुरु के सिख तो किसी को बेघर नहीं करते। उस वक्त नलुवा जी ने जवाब दिया। लेकिन जो आक्रमण करने के उद्देश्य से आये उसे हम मौत देते हैं। उनके इस उत्तर से बानो प्रभावित होकर कहने लगी मुझे आपके जैसा पुत्र चाहिए। बानो की इस बात पर हरि सिंह नलुवा जी को अत्यंत गुस्सा आया और उन्होंने तलवार निकाल कर उसे वहाँ से जाने के लिए कहा। इस पर बानो ने कहा कि सुना था गुरु नानक देव जी के घर से कोई खाली हाथ नहीं जाता। मैं खाली हाथ जा रही हूँ। इसपर हरि सिंह नलुवा जी ने कहा अगर ऐसा है तो आज से मैं आपका पुत्र हूँ। आप हमारी मां है
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सरदार भगवान सिंह ने सिखों के ऊचे किरदार और आचरण की चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है 17 साल की बानो को 45 साल के हरि सिंह नलुवा ने मां का दर्जा दिया। और साबित कर दिया कि गुरुनानक का सिख कभी भी अपने चरित्र से समझौता नहीं कर सकता। सिखों का चरित्र ऊच्चा और सुच्चा होना चाहिए। जैसा गुरमुख वाला रुप श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने बक्शा है वैसा ही चरित्र भी हो तभी आप सच्चे सिख कहलाने के हकदार हैं।
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