jamshedpur- ‘सफर-ए-शहादत’ का तीसरा दिन: सोधर से लेकर समाप्ति तक सभी नियम बच्चों द्वारा किये गए. know more about it.

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24 से 27 दिसम्बर के विशेष दिवान के लिए साकची गुरुद्वारा मैदान में तैयारी जोरों पर, भगवान सिंह ने कहा – सिख परिवार बच्चों को जरूर लाएं समागम में

‘सफर-ए-शहादत’ का तीसरे दिन मानगो गुरुद्वारा में कच्ची उम्र के बच्चों ने भक्ति का अनूठा उदाहरण पेश करते हुए सोमवार को श्री गुरुद्वारा सिंह सभा, मानगो में सोधर से लेकर समाप्ति तक के सारे नियम कार्यान्वित कर सभी को प्रेरित किया।

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इसके अलावा महिलाओं, युवकों, बुजुर्गों ने सुबह की कड़ाके की ठंढ में ‘आसा दी वार’ का पाठ के रूप में सिमरन साधना कर उन क्षणों को याद कर अनुभव किया कि किस तरह माता गुजर कौर अपने दोनों छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (6 वर्ष) को गोद में लिए हाड़ कंपाती शीतलहरी में रात भर बैठी रही और विचलित नहीं हुई। हजूरी रागी गुरप्रीत सिंह मोडेल ने भी शाम के दिवान में सबद कीर्तन द्वारा साहिबजादों के बलिदान को याद किया।

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इधर, साकची गुरुद्वारा मैदान में भी 24 से 27 दिसम्बर के विशेष दिवान के लिए तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं और अंतिम पड़ाव पर हैं। हो रही तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (सीजीपीसी) के प्रधान सरदार भगवान सिंह ने कोल्हान की सिख संगत के आलावा अन्य समुदाय के प्रतिनिधियों और जनता से निवेदनपूर्वक आह्वान किया है कि मानवता और धर्म की रक्षा करने वाले


चार साहिबजादों की शहादत न केवल सिख धर्म का गौरव है, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा है इसलिए सभी परिजन विशेषरूप से सिख परिवार के लोग अपने बच्चों को इस समागम में जरूर लायें। भगवान सिंह ने कहा- साहिबजादों का बलिदान हमें अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने, अत्याचार का विरोध करने, और सत्य की राह पर चलने की शिक्षा देता है। धर्म की रक्षा के लिए साहिबजादों ने जो किया, वह सदियों तक प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।
मानगो ने महासचिव जसवंत सिंह जस्सू ने बताया कि साकची गुरुद्वारा मैदान में ‘सफर-ए-शहादत‘ के विशेष कार्यक्रम 24 से 27 दिसंबर तक शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक आयोजित किये जायेंगे जहाँ जमशेदपुर के कीर्तनीये संगत को सबद कीर्तन से निहाल करेंगे।

विशेष समागम का हिस्सा बनने के लिए पंथ के महान प्रचारक सुखप्रीत सिंह उधोके विशेष तौर पर पंजाब से जमशेदपुर पहुंच रहें है जो संगत को साहिबजादों, माता गुजर कौर और अनेक सिख शहीदों की शहीदीगाथा को कथा के रूप में रात 8:00 से 10:00 बजे तक प्रस्तुत करेंगे। तीनों दिन गुरु का अटूट लंगर बरताया जायेगा।

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