jamshedpur-प्रकाश पर्व को समर्पित “नवां साल गुरु दे नाल” कीर्तन दरबार में बही गुरबानी की अमृत बयार


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SIKH MEDIA JAMSHEDPUR
खालसा सेवा दल, जमशेदपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय महान कीर्तन दरबार “नवां साल गुरु दे नाल” का शुभारंभ.
ये समाचार आप सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जमशेदपुर,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मानगो,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टुईलाडुंगरी, सरदार सुरेन्द्र पाल सिंह जी “टिटू” स्टेट चेयरमैन बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया ( झारखंड राज्य) देशी डिलाइट्स रिफ्यूजी कालोनी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नामदा बस्ती,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टिनप्लेट,दुपट्टा सागर बिस्टुपुर के सौजन्य से प्राप्त कर रहे हैं।
सिख पंथ के दसवें पातशाही, दसमेश पिता कलगीधर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 359वें प्रकाशोत्सव को समर्पित खालसा सेवा दल, जमशेदपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय महान कीर्तन दरबार “नवां साल गुरु दे नाल” का शुभारंभ साकची गुरुद्वारा प्रांगण में बड़े ही श्रद्धा-भक्ति भाव से हुआ। यह कीर्तन समागम वर्ष के अंतिम दो दिन 30 एवं 31 दिसंबर को गुरु साहिब के चरणों में नवां साल मनाने की अनुपम भावना से ओत-प्रोत है।
समागम के प्रथम दिन मंगलवार को श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डाला गया। इसके पश्चात भव्य शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें सिख स्त्री सत्संग सभा साकची, सुखमणि साहिब कीर्तनी जत्था की बीबीयां, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साकची के सभी सदस्य तथा संगत ने श्रद्धापूर्वक भाग लिया। शोभा यात्रा की अरदास का पुनीत दायित्व भाई अमृतपाल सिंह जी मन्नन ने निभाया। सबसे पहले हजूरी रागी श्री गुरुद्वारा साहिब साकची के भाई साहब भाई नारायण सिंह जी ने गुरबानी कीर्तन की अमृत वर्षा की। उपरांत विशेष आमंत्रण पर पहुँचे कीर्तनी जत्थों भावपूर्ण स्वरों में शबद गए “गनिव तेरी सिफत सच्चे पातशाह”, “सुनी अरदास स्वामी मेरे, शरब कला बन आई” तथा “सतगुर होय दयाल तां श्रद्धा पुरिये”। संगत इन पवित्र शबदों से निहाल हो उठी।
इसके बाद हेड ग्रंथी श्री दरबार साहिब तरनतारन साहिब के ज्ञानी जजबीर सिंह जी ने कथा-प्रवचन में गुरु महाराज की महिमा का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि दाते का पहला गुण है, तुम धन धनी अर्थात जिसके पास गुरबानी के नाम का अनमोल खजाना है, वही सच्चा गुणी है। 1666 ईस्वी में पटना साहिब की पावन धरती पर अवतार धारण करने वाले श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के पास नाम का अथाह खजाना था, इसलिए उनके हृदय में उदारता और स्नेह की अपार धारा बहती थी। प्रख्यात रागी जत्थों की उपस्थिति ने इस समागम को और भी दिव्य बना दिया। भाई सरूप सिंह (हजूरी रागी श्री दरबार साहिब, अमृतसर), बीबी जसप्रीत कौर (पटियाला वाले), ज्ञानी जजबीर सिंह (मुख्य ग्रंथी तरनतारन) तथा भाई नारायण सिंह (हजूरी रागी साकची गुरुद्वारा साहिब) अपने सबद-कीर्तन से संगत को गुरु चरणों में लीन कर रहे हैं।
गुरु का अटूट लंगर निरंतर बरताया जा रहा है। दोनों दिन दोपहर एवं रात्रि को गुरु का प्रसाद वितरित किया जाएगा। साथ ही शाम के दीवान में संगत की सेवा में चाय एवं जलपान की व्यवस्था भी रहेगी। इस पवित्र आयोजन की सफलता में सन्नी सिंह बरियार, परमजीत सिंह काले, सतबीर सिंह गोल्डू, अमरपाल सिंह, गुरबख्श सिंह बख्शी, सोनी सिंह, श्याम सिंह, मणि सिंह, अमन सिंह तथा अन्य सदस्यों का सराहनीय सहयोग प्राप्त हो रहा है।