jamshedpur-श्री गुरु तेगबहादुर जी का शहीदी समागम टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा साहिब में आज।


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शहीदी समागम आज शाम टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा साहिब में बड़ी श्रद्धा और निमरता पुर्वक मनाया जाएगा।
ये समाचार आप सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जमशेदपुर,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मानगो,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टुईलाडुंगरी, सरदार सुरेन्द्र पाल सिंह जी “टिटू” स्टेट चेयरमैन बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया ( झारखंड राज्य) देशी डिलाइट्स,रिफ्यूजी कालोनी, बीबी इंद्रजीत कौर( President Istri Satsang Sabha Gourishanker Road) गुरु रामदास सेवा दल सोनारी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नामदा बस्ती,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टिनप्लेट,दुपट्टा सागर बिस्टुपुर के सौजन्य से प्राप्त कर रहे हैं।
जमशेदपुर: शहर में लड़ीवार विभिन्न गुरुद्वारों में चल रहे श्री गुरु तेगबहादुर जी का शहीदी समागम आज शाम टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा साहिब में बड़ी श्रद्धा और निमरता पुर्वक मनाया जाएगा।
इस संबंध में टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार सतबीर सिंह ने मीडिया को दूरभाष के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि आज शाम को सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं तख्त श्री हरमंदिर जी पटना के संयुक्त तत्वावधान से जमशेदपुर समेत कोल्हान के गुरुद्वारों मे चल रहे लड़ीवार शहीदी समागम का दिवान टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा साहिब में सजाया जाएगा। जिसमें शाम 4 बजे से 4:30 बजे तक बीबी नवजोत कौर जी जालंधर वाले एवं 4:30 बजे से 5:30 बजे तक भाई कविंदर सिंह जी हजूरी रागी तख्त श्री पटना साहिब संगत को मनोहर गुरबाणी शबद किर्तन गायन करके निहाल करेंगे।
इस मौके पर कमेटी प्रधान सरदार सतबीर सिंह ने जमशेदपुर की समूह संगत से अपील करते हुए कहा कि संगत समयानुसार पहुंचकर श्री गुरु तेगबहादुर जी का आशिष प्राप्त करें।
क्या है इतिहास।
दिल्ली के चांदनी चौक पर औरंगजेब द्वारा इस्लाम न कबूलनामे पर श्री गुरु तेगबहादुर जी एवं उनके सेवक भाई मतिदास भाई सतिदास भाई दयाला जी पर अत्याचार करते हुए शहीद किया गया। औरंगजेब को श्री गुरु तेगबहादुर जी ने जबरन इस्लाम कबूल करने को लेकर स्पष्ट किया कि कोई भी सत्ता किसी की आस्था या विश्वास छीनने का अधिकार नहीं रखती. धर्म आत्मा का विषय है। सत्ता का नहीं। औरंगजेब को यह बात बहुत बुरी लगी नतीजा यह हुआ कि 24 नवंबर 1675 को चांदनी चौक पर गुरुजी का सार्वजनिक रूप से सिर कलम कर दिया गया।