jamshedpur-जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का निर्णय सिख समुदाय की अलग पहचान पर हमला है,know more about this controversial decision of the court.
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Daily Dose News
किसी भी धर्मनिरपेक्ष अदालत को सिख पहचान की परिभाषा तय करने का कोई अधिकार नहीं है-sd.Tara Singh president,jharkhand sikh coordination committee
दस गुरुओं ने सांसारिक वेशभूषा में रहते हुए भी सिखों को एक अलग धर्म, एक अलग संप्रदाय और एक अलग राष्ट्र के रूप में पूरी पहचान दी है-sd.Paramjeet Singh Sidhu,Gn.Sec.Gurudwara Sahib Sakchi
जमशेदपुर के सिख बुद्धिजीवियों ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि सिख के रूप में पहचान के लिए नाम के बाद ‘सिंह’ या ‘कौर’ लगाना आवश्यक नहीं है और उन्होंने कहा कि यह सैद्धांतिक और ऐतिहासिक है। सिखों के सिद्धांत पृष्ठभूमि को नजरअंदाज करके एक सिख की पहचान निर्धारित करने का एक सांसारिक तरीका। अदालत का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है।
सिख मीडिया जमशेदपुर के एडिटर स. गुरदीप सिंह सलुजा ने कहा कि सिख मतदाता बनने के लिए नाम के बाद ‘सिंह’ या ‘कौर’ की आवश्यकता के संबंध में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का निर्णय गुरुद्वारा चुनाव सीधे तौर पर सिख समुदाय की अलग पहचान पर हमला है और यह सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है।
सीतारामडेरा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव सरदार अविनाश सिंह खालसा ने कहा कि दस गुरुओं ने सांसारिक वेशभूषा में रहते हुए भी सिखों को एक अलग धर्म, एक अलग संप्रदाय और एक अलग राष्ट्र के रूप में पूरी पहचान दी है।सिखों के नाम के बाद ‘सिंह’ और ‘कौर’ का सैद्धांतिक और ऐतिहासिक आधार है, जिसकी अनदेखी कर एक धर्मनिरपेक्ष अदालत द्वारा सिख पहचान के बारे में फैसला सुनाना सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला फैसला है।