jamshedpur-नांदेड़ के हजूर साहिब गुरुद्वारा पर जल्द निर्णय ले महाराष्ट्र सरकार,know more about it.
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भारत वर्ष का एक ऐसा सूबा जो त्याग और बलिदान के लिए जाना जाता है। और साथ ही गर्म सियासत के रुतबे के लिए भी मशहूर है। अक्सर देखने में आता है कि पंजाब के लोग दिल्ली की केन्द्रीय सत्ता के कानूनों से जूझते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन इस बार मामला सीधे तौर पर धर्म से जुड़ा हुआ है। जो महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले ने गुरुपुत्रों को नाराज कर दिया है।
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दरअसल, महाराष्ट्र राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार ने विगत दिनों सिखों के पवित्र तख्त नांदेड़ साहिब गुरुद्वारा बोर्ड में कुछ संशोधन कर दिया है। जोकि ऐतराज योग है। उस संशोधन के तहत नांदेड़ साहिब गुरुद्वारा बोर्ड में कुल 17 सदस्यों मे से 12 , सदस्य महाराष्ट्र सरकार द्वारा नामित किए जाएंगे।

यही नहीं, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अपने चार सदस्यों को नांदेड़ साहिब प्रबंधन के लिए भेजा करती थी। लेकिन शिंदे सरकार ने 1956 के एक्ट में संशोधन के बाद वह संख्या घटाकर सिर्फ दो कर दी है। इसके अलावा चीफ़ खालसा दिवान और हजूरी सचखंड दिवान के नॉमिनेशन को भी समाप्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं पहले के कानून में प्रावधान था कि दो सिख सांसदों को भी बोर्ड में शामिल करना है। लेकिन अब उस नियम को भी समाप्त कर दिया गया

इस मामले मे जमशेदपुर की सिख संस्था सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने आपत्ति दर्ज कराते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा है।जमशेदपुर के समाजसेवी सरदार गुरदीप सिंह सलूजा ने कहा कि सिख समुदाय इस संशोधन को अपने धर्म के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप मान रही है। और आंदोलन के लिए विवश है।