Good News-ग्वालियर के नगर द्वार का नाम ‘दाता बंदी छोड़ द्वार’ रखा जाएगा। know more about it.

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jamshedpur
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ग्वालियर के मुरैना मार्ग स्थित नगर द्वार का नाम सिखों के छठवें गुरु, गुरु हरिगोविंद जी के नाम पर ‘दाता बंदी छोड़ द्वार’ रखा जाएगा।

 यह घोषणा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की। उन्होंने कहा कि ग्वालियर और चंबल क्षेत्र का सिख समुदाय के साथ एक प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्वालियर शहर के पुरानी छावनी क्षेत्र में बन रहे प्रवेश द्वार का नामकरण करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि आज गर्व के साथ हम ग्वालियर के पुरानी छावनी क्षेत्र में बनने वाले नगर द्वार का नाम सिख धर्म के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद जी के सम्मान में ‘दाता बंदी छोड़ द्वार’ रख रहे हैं। ग्वालियर शहर और चंबल संभाग सिख समुदाय के अद्वितीय इतिहास और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हैं। गुरु हरगोविंद जी का साहस और बलिदान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।

गुरु हरगोबिंद जी का ग्वालियर से ऐतिहासिक संबंध

ग्वालियर शहर और चंबल संभाग में सिख समुदाय का एक प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में सिख परिवार निवास करते हैं। सिखों के छठे गुरु, श्री हरगोविंद जी को मुगल बादशाह जहांगीर ने ग्वालियर के किले में कई वर्षों तक बंदी बनाकर रखा था।

गुरु हरगोविंद जी के साथ 52 हिंदू राजाओं को भी कैद किया गया था। जब गुरु जी को बादशाह द्वारा मुक्त किया जा रहा था, तब उन्होंने अपने साथ इन 52 राजाओं को भी मुक्त करने की शर्त रखी। जहांगीर ने उनकी इस शर्त को मानते हुए सभी को रिहा कर दिया।

इतिहास के अनुसार, गुरु हरगोविंद सिंह जी के साथ विशेष रूप से बनवाए गए चोले की 52 कलगियों को पकड़कर सभी 52 राजा ग्वालियर किले से बाहर आए थे। इस घटना के बाद गुरु जी का नाम ‘दाता बंदी छोड़’ पड़ा। इसी ऐतिहासिक घटना के बाद ग्वालियर किले पर ‘दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा’ का निर्माण किया गया।

यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों से सिख श्रद्धालु मत्था टेकने आते हैं। इसके अलावा, विदेशी पर्यटक भी इस भव्य और ऐतिहासिक गुरुद्वारे को देखने आते हैं।

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