Agniveer Punjab: पहले अग्निवीर के बलिदान पर राजनीति गरमाई,know more what is the matter ?
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Agniveer Punjab: पहले अग्निवीर के बलिदान पर राजनीति गरमाई, विपक्षी दलों ने जताई हैरानी, केंद्र पर साधा निशाना
पंजाब के अग्निवीर को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिए जाने पर विपक्षी दलों ने केंद्र पर निशाना साधा है। वहीं परिवार को पंजाब सरकार एक करोड़ रुपये देगी।

पंजाब के मानसा के अग्निवीर अमृतपाल सिंह के शुक्रवार को हुए अंतिम संस्कार के दौरान सेना की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिए जाने पर पंजाब के विपक्षी दलों ने दुख जताया है। हालांकि सेना ने बयान जारी कर अमृतपाल की मौत सर्विस राइफल से लगी गोली से होना बताया है। ऐसे में मौजूदा नीति के अनुसार गार्ड ऑफ ऑनर नहीं देने की बात कही है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी कहा कि उनकी सरकार इस मामले पर केंद्र के समक्ष कड़ी आपत्ति जताएगी। मान ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में आगे कहा कि अमृतपाल की शहादत के संबंध में सेना की जो भी नीति हो, लेकिन उनकी सरकार की नीति शहीद के लिए वही रहेगी और राज्य की नीति के अनुसार सैनिक के परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अमृतपाल सिंह देश के शहीद हैं।
पुंछ सेक्टर में जम्मू-कश्मीर राइफल्स की एक बटालियन में कार्यरत अमृतपाल सिंह का शुक्रवार को पंजाब के मनसा जिले में उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया था।
शिरोमणि अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि वह यह जानकर स्तब्ध हैं कि अंतिम संस्कार सेना के गार्ड ऑफ ऑनर के बिना किया गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- ”पता चला है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अमृतपाल अग्निवीर था। हमें अपने सभी सैनिकों को उचित सम्मान देना चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सभी शहीद सैनिकों को सैन्य सम्मान देने के निर्देश जारी करने का अनुरोध करती हूं।”
पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा- ”यह हमारे देश के लिए एक दुखद दिन है क्योंकि अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किए गए अमृतपाल को एक निजी एम्बुलेंस में घर भेज दिया गया और गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया।” उन्होंने पूछा, “क्या अग्निवीर होने का मतलब यह है कि उनका जीवन उतना मायने नहीं रखता।”
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भगवंत मान सरकार पर हमला करते हुए कहा कि युवा शहीद को उचित विदाई देने के लिए किसी राज्य-स्तरीय गणमान्य व्यक्ति को भेजने से मुख्यमंत्री के इनकार से वह स्तब्ध हैं। शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने अग्निवीर योजना को खत्म करने की मांग की और आज तक इसके तहत भर्ती किए गए सभी सैनिकों को नियमित करने की मांग की।
अग्निवीर का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार न करने पर सवाल
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले कोटली कलां के अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कर सैन्य सम्मान से न होने और उन्हें शहीद का दर्जा न मिलने पर अग्निवीर योजना पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि परिवार के सदस्य इस पर खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं हैं, लेकिन गांव के गांव लोग शहीद का दर्जा न मिलने पर सरकार की योजना पर सवाल उठा रहे हैं। अमृतपाल सिंह के पिता गुरदीप सिंह तो इतना ही कहना है कि सरकार से कोई सुविधा नहीं मिली है। वहीं, उनका बेटा देश के लिए कुर्बान हुआ है। इस बात का उन्हें गर्व है।
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी योजना पर सवाल उठाए
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी अमृतपाल को शहीद का दर्जा न दिए जाने पर केंद्र सरकार की योजना पर सवाल उठाए हैं। वहीं, सेना का कहना है कि अमृतपाल को खुद की सर्विस राइफल से गोली लगी थी, जिसकी जांच की जा रही है।
सम्मान व सहायता देने की मांग
अमृतपाल सिंह के चाचा सुखजीत सिंह का कहना है कि परिवार की जमीन सेम से प्रभावित थी। बेटे के नौकरी पर लगने से परिवार को अच्छे दिन आने की उम्मीद थी, लेकिन इस हादसे ने पानी फेर दिया। उन्होंने सरकार से परिवार को सम्मान व सहायता देने की मांग भी की है। सदर थाने के इंचार्ज गुरवीर सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार के आदेश पर पुलिस की ओर से राजकीय सम्मान दिया गया है। सीपीआई एमएल लिबरेशन ने अग्निवीर को सैनिक सम्मान न देने की कड़ी अलोचना करते परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद और फैमिली पेशन देने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने अमृतपाल सिंह को शहीद का दर्जा देने की मांग भी की है। वहीं, मानसा के उपायुक्त परमवीर सिंह ने बताया कि सेना की ओर से हादसे की जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद ही इस मामले में सम्मान देने का फैसला लिया जा सकेगा।
हादसे की कर रहे हैं जांच
सेना की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि राजौरी में ड्यूटी के दौरान खुद की बंदूक से लगी गोली के कारण अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत हुई है। हादसे की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही है। मृतक के पार्थिव शरीर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंक के कर्मचारियों के साथ सिविल एम्बुलेंस से भेजा गया था। अंतिम संस्कार में सेना के जवान भी शामिल हुए थे।
content source Amar Ujala