Good job-क्या आप सिखों की इस सेवा के बारे में जानते हैं?

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क्या आप सिखों की इस सेवा के बारे में जानते हैं?

भारतीय रेलवे प्रतिदिन 13,000 से अधिक मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट, शताब्दी, जनशताब्दी, वंदे भारत, तेजस, हमसफर, गरीबरथ नामक रेल सेवाओं का संचालन करता है।
लेकिन इन सब में एक रेलगाड़ी सबसे अलग है, इसकी वजह गति, विलासिता या तकनीक नहीं बल्कि मानवीयता है।

ये समाचार आप
सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जमशेदपुर,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नामदा बस्ती,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सरजामदा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मानगो,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टिनप्लेट,दुपट्टा सागर बिस्टुपुर,सिख विजडम
के सौजन्य से प्राप्त कर रहे हैं।

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“सचखंड एक्सप्रेस” के नाम से जानी जाने वाली यह रेलगाड़ी भारत की एकमात्र रेल सेवा है, जिसमें यात्रियों को महाराष्ट्र से पंजाब तक लगभग 36 घंटे की यात्रा के दौरान मुफ़्त नाश्ता, दोपहर और रात का खाना मिलता है।
सचखंड एक्सप्रेस (12715/12716) महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर और पंजाब के अमृतसर शहर के बीच चलती है, जो लगभग 2,087 किलोमीटर की दूरी तय करती है, और देश के दो सबसे पवित्र सिख स्थलों को जोड़ती है, अगर आप इस ट्रेन में यात्रा करते हैं, तो आपको बिना किसी शुल्क के ताज़ा घरेलू खाना परोसा जाएगा, आपको कढ़ी, दाल, चावल, मौसमी सब्ज़ी, अचार और ताज़ी रोटियां मिलती हैं, जिन्हें बहुत आदर सत्कार भाव से मुस्कुराते हुए परोसा जाता है।

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ये भोजन रेलवे की रसोई में नहीं पकाया जाता है, बल्कि इन्हें स्टेशनों के पास के गुरुद्वारों में तैयार किया जाता है और सेवादारों (स्वयंसेवक) द्वारा ट्रेन में लाया जाता है, यह सब सिख परंपरा के लंगर का हिस्सा है, जहाँ अमीर या गरीब, स्थानीय या अजनबी, किसी को भी सत्कार के साथ और मुफ़्त में भोजन दिया जाता है। सेवा का यह सुंदर कार्य 1995 से चल रहा है, और यात्रियों को पिछले लगभग 30 वर्षों से मुफ़्त भोजन मिल रहा है।

भोजन सिर्फ़ एक जगह नहीं परोसा जाता, बल्कि यात्रा के दौरान कई स्टेशनों पर परोसा जाता है। हालांकि कोई आधिकारिक सूची नहीं है, लेकिन कई यात्रियों ने औरंगाबाद, मनमाड, भोपाल, झांसी, डबरा, ग्वालियर, दिल्ली और लुधियाना जैसे स्टेशन पर भोजन प्राप्त किया जाता है। आपको भोजन प्राप्त करने के लिए अपनी प्लेट या टिफ़िन बॉक्स ले जाना होगा। सेवादार आम तौर पर प्लेटफ़ॉर्म पर चलते हैं या कोच में ताज़े भोजन से भरे कंटेनर लेकर चढ़ते हैं और जो भी स्वीकार करने को तैयार होता है उसे देते हैं।

ऐसे समय में जब सब कुछ देने और लेने के बारे में है, यह रेलगाड़ी आपको याद दिलाती है कि दयालुता हज़ारों किलोमीटर की यात्रा भी कर सकती है। सिख समुदाय द्वारा एक विनम्र भेंट के रूप में शुरू की गई यह सेवा इस रेलगाड़ी की पहचान का हिस्सा बन गई है, इसलिए जब भी आप किसी को भारतीय रेलवे के बारे में बात करते हुए सुनें, तो उन्हें बताएं कि एक ऐसी रेलगाड़ी भी है जो यात्रा से कहीं ज़्यादा प्रदान करती है, उदारता, आस्थाऔर सेवा भाव, यह मानवता का एक मार्मिक उदाहरण है, गुरु के सिखों को दिल से प्रणाम्, जो इस लंगर प्रसाद में अथक रूप से अपना पैसा और ऊर्जा समर्पित करते हैं।

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Good job-क्या आप सिखों की इस सेवा के बारे में जानते हैं?


jamshedpur-खुशखबरी: शहीद बाबा दीपसिंह गुरुद्वारा सीतारामडेरा से ई- रिक्शा की सेवा शुरू की गयी।


religious-ॐ ह्रीं विपदतारिणी दुर्गायै नम: के मंत्रोच्चार से गुंजायमान हुआ जादूगोड़ा.

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खुशखबरी: शहीद बाबा दीपसिंह गुरुद्वारा सीतारामडेरा से ई- रिक्शा की सेवा शुरू की गयी।
जमशेदपुर: शहर के सीतारामडेरा स्थित गुरुद्वारा शहीद बाबा दीपसिंह गुरुद्वारा से आज संगत की सुविधा के लिए ई-रिक्शा की शुरुआत की गई।
इस संबंध में गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव सरदार अविनाश सिंह खालसा ने संवाददाता को बताया कि आज जमशेदपुर के बाहर से आई हुई संगत की सुविधा हेतु एक ई-रिक्शा के परिचालन को कमेटी के पदाधिकारियों और स्त्री सत्संग सभा की महिलाओं द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
क्या है मकसद।
जमशेदपुर शहर के शहीद बाबा दीपसिंह गुरुद्वारा सीतारामडेरा में प्रत्येक रविवार को चौपेहरा का पाठ होता है। जिसमें हिस्सा लेने के लिए संगत जमशेदपुर के बाहर से भी पहुंचती है। जिसमें महिलाएँ और बुजुर्ग भी शामिल होते हैं। जिन्हें ऑटो स्टैंड या फिर बस स्टैंड से गुरुद्वारा साहिब तक पहुंचने में परेशानी होती है।उन श्रद्धालुओं को ऑटो स्टैंड या बस स्टैंड से लाने और छोड़ने की सुविधा को ध्यान में रखकर ई-रिक्शा की सुविधा श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रहेगी।
किस दिन मिलेगी ये सुविधा और क्या है टाईमिंग।
गुरुद्वारा कमेटी के सदस्यों ने बताया कि अभी फिलहाल ई-रिक्शा की सुविधा सप्ताह में सिर्फ एक दिन रविवार को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ही मिलेगी।
महासचिव सरदार अविनाश सिंह खालसा ने बताया कि इस कार्य में जमशेदपुर के ह्यूम पाइप निवासी ई-रिक्शा मालिक सरदार जितेंद्र सिंह काके का मुख्य रूप से योगदान है।
बताते चलें कि ये सेवा गुरुद्वारा कमेटी की ओर से नि:शुल्क की जाएगी।
इस मौके पर सीतारामडेरा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सभी सदस्यों के साथ साथ स्त्री सत्संग सभा की सभी महिलाएं उपस्थित थीं।

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