jamshedpur-सोनारी गुरुद्वारा का निशान साहिब का चोला बदला गया know more about it.
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जमशेदपुर स्थित सोनारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा सभी पदाधिकारियों और सदस्यों की उपस्थिति में आज शनिवार को गुरुद्वारा साहिब में सुबह 9 बजे श्री निशान साहिब जी का चोला साहिब समुह संगत के सहयोग से बदला गया।
ये समाचार आप गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी, दुपट्टा सागर बिस्टुपुर, नागी मोबाइल कम्यूनिकेशन्स के सहायता से प्राप्त कर रहे हैं।

इस संबंध में सोनारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार तारासिंह ने डेली डोज़ न्यूज़ चैनल को बताया कि निशान साहिब का चोला बदलने के पहले स्थानीय स्त्री सत्संग सभा की ओर से सुखमनी साहिब का पाठ किया गया। उसके उपरांत हेड ग्रंथि बाबा रामप्रीत सिंह जी ने अरदास कर प्रसाद वितरण किया गया। प्रधान सरदार तारासिंह ने आयी हुई सभी संगत का धन्यवाद किया
इस मौके पर सोनारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।
ਇਹ ਖਬਰ ਤੁਸੀਂ ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੀਤਾਰਾਮਡੇਰਾ, ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੋਨਾਰੀ, ਦੁਪਟਾ ਸਾਗਰ ਬਿਸਟੁਪੁਰ ਨਾਗੀ ਮੋਬਾਈਲ ਕਮਯੁਨੀਕੇਸੰਸ ਦੇ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਪਾ੍ਪਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਜੀ।

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क्या है निशान साहिब
ये पवित्र त्रिकोणीय ध्वज कॉटन या रेशम के कपड़े का बना होता. इसके सिरे पर एक रेशम की लटकन होती है. इसे हर गुरुद्वारे के बाहर, एक ऊंचे ध्वजडंड पर फ़ैहराया जाता है. परंपरानुसार निशान साहब को फ़हरा रहे डंड में ध्वजकलश (ध्वजडंड का शिखर) के रूप में एक दोधारी खंडा (तलवार) होता है और डंडे को पूरी तरह कपड़े से लपेटा जाता है. झंडे के केंद्र में एक खंडा चिह्न (☬) होता है.
निशान साहिब खालसा पंथ का परंपरागत प्रतीक है. काफ़ी ऊंचाई पर फ़हराए जाने के कारण निशान साहिब को दूर से ही देखा जा सकता है. किसी भी जगह पर इसके फहरने का मतलब वहां खालसा पंथ की मौजूदगी होती है. हर बैसाखी पर इसे नीचे उतारा जाता है. फिर नए ध्वज से बदल दिया जाता है. सिख इतिहास के प्रारंभिक काल में निशान साहिब की पृष्ठभूमि लाल रंग की थी. फ़िर इसका रंग सफ़ेद हुआ और फिर केसरिया.
