shabeel-नानक एड, महावीर साईकिल एवं डॉगी वर्ल्ड के सयुंक्त तत्वाधान से भालूबासा में शबील लगाई गई।know more about it.
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आज शहीदों के सरताज शांति के पुंज सिखों के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज के शहादत को समर्पित ठंडे मीठे शरबत और चना प्रसाद की शबील भालूबासा ओवरब्रिज पर शहर के जाने माने फ्लैक्स प्रिंटिंग निर्माता नानक एड, महाबीर साईकिल स्टोर एवं डॉगी वर्ल्ड के संयुक्त तत्वाधान से लगाया गया।
ये समाचार आप गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी, दुपट्टा सागर बिस्टुपुर, के सहायता से प्राप्त कर रहे हैं।
जिसमें हजारों की संख्या में राहगीरों को प्रचंड गर्मी में ठंडा शरबत और चना प्रसाद का वितरण किया गया।
इस पुनीत कार्य में नानक एड के मालिक सरदार जसवंत सिंह जस्सी पाजी परिवार समेत सेवा करते हुए नजर आए।
एक सवाल के जवाब में जस्सी पाजी ने डेली डोज़ न्यूज़ चैनल को बताया कि उन्होंने इस वर्ष पहली बार शबील के सेवा की शुरुआत की है। और जीवन में जब तक वाहेगुरु चाहेंगे ये सेवा हर साल निरंतर जारी रखेंगे।
बताते चलें कि जस्सी पाजी का पुरा परिवार गुरु घर से जुड़ा हुआ है।और उनका गुरु घर में आस्था है।
ਇਹ ਖਬਰ ਤੁਸੀਂ ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੀਤਾਰਾਮਡੇਰਾ,ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸਾਕਚੀ, ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੋਨਾਰੀ, ਦੁਪਟਾ ਸਾਗਰ ਬਿਸਟੁਪੁਰ ਦੇ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਪਾ੍ਪਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਜੀ।
सिख धर्म में शबील पिलाने का क्या है इतिहास।
श्री गुरु अर्जुनदेव जी को जिस दिन गर्म तवी पर बिठाया गया,उसी शाम को गुरु जी को वापिस जेल मे डाल दिया गया, और बहुत सख्त पहरा लगा दिया गया कि कोई भी गुरुजी से मिल ना सके, उस समय चँदू लाहोर का नवाब था।
जिसके हुकुम से ये सब हूआ था, उसी रात को चँदू की पत्नी, चँदू का पुत्र कर्मचंद और पुत्रवधू गुरु अर्जुनदेव जी से मिलने जेल मे गए तो सिपाहियों ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया, तो चँदू की पत्नी और पुत्रवधू ने अपने सारे जेवरात उतार कर सिपाहियों को दे दिये और उस जगह पहुंच गए जहाँ गुरु जी कैद थे।
जब चँदू के परिवार ने गुरुजी की हालत देखी तो सभी रोने लगे कि इतने बड़े महापुरुष के साथ ऐसा सलूक ?
तब चँदू की पत्नी ने कहा गुरुजी मैं आपके लिए ठंडा मिठा शरबत लेकर आई हूँ कृपया करके शरबत पी लिजिए, ये कहते हुए शरबत का गिलास गुरुजी के आगे रख दिया, तो गुरुजी ने मना कर दिया और कहा हम परण कर चुके हैं कि हम चँदू के घर का पानी भी नहीं पियेंगे।ये सुन कर चँदू की पत्नी की आँखें भर आईऔर बोली कि मैंने तो सुना है कि गुरुजी के घर से कोई खाली हाथ नहीं गया पर ?
तब गुरु जी ने वचन किया कि माता इस मुख से तो मैं तेरा शरबत नहीं पियूँगा, पर हां एक समय ऐसा जरुर आएगा जब ये जो शरबत आप लेकर आयीं हैं, आपके नाम का ये शरबत हजारों लोग पिलाएंगे और लाखों लोग पिएंगे।आपकी सेवा सफल होगी।
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आज ये छबील लगाई और पिलाई जाती है ये गुरु अर्जुन देव जी का वचन है, ये है छबील का इतिहास जो देश के हर गांव और शहर में ठंडे मिठे पानी की छबीलें लगाई जाती है।
तब चँदू की पुत्रवधू ने गुरु जी से विनती की,कि महाराज कल आपको शहीद कर दिया जयेगा, मेरी आपसे एक ही विनती है कि कल जब आप ये शरीर रुपी चोला छोड़ो तो मैं भी अपना शरीर छोड़ दूँ,मैं लोगों के ताने नहीं सुन सकती कि वो देखो चँदू की पुत्रवधू जा रही जिसके ससुर ने श्री गुरू अर्जुन देव जी को शहीद किया था।अगले दिन जब गुरु जी को शहीद किया गया तो चँदू की पुत्रवधू भी शरीर त्याग गई।