punjab-पंजाब के ये गाँव बिकाऊ हैं। जानें कारण,these villages of punjab are for sale know the reason.
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पलायन को मजबूर ग्रामीणों ने घरों में लगाए पोस्टर, लिखा – ‘हमारे गांव बिकाऊ हैं’
PUNJAB DESK-पंजाब के समराला के तीन गांव में रहने वाले लोगों ने अपने घरों के बाहर बिक्री के पोस्टर लगाए हैं. गांव में बन रही फैक्ट्री से परेशान होकर लोगों ने अपने घर के बाहर लिखा कि ‘हमारे गांव बिकाऊ हैं’.
समराला विधानसभा क्षेत्र के तीन गांव मुश्काबाद, खिरनियाई और टपरिया गांव बिकाऊ हैं. इन तीनों ग्रामीणों ने अपने गांव को बेचने का फैसला किया है और गांवों के हर घर पर बिक्री के पोस्टर लगा दिए गए हैं.
गांव में गैस फैक्ट्री के निर्माण के कारण गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हैं, जिसका निर्माण लगातार चल रहा है. आसपास के तीन गांवों के निवासियों को डर है कि जैसे ही फैक्ट्री में गैस बनेगी, उनके लिए इन गांवों में रहना उपयुक्त नहीं होगा, क्योंकि इसकी गैस खतरनाक है.
इसके अलावा इलाके में प्रदूषण का स्तर इस हद तक बढ़ जाएगा कि न केवल वे बल्कि उनकी आने वाली पीढ़ियां भी प्रदूषण से पीड़ित होंगी. भूमिगत जल तो खराब होगा ही, जहरीला धुंआ भी उनके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाएगा. ग्रामीण इस फैक्ट्री के खिलाफ हैं. एक नहीं, बल्कि तीन गांवों के लोग लगातार इस फैक्ट्री का विरोध कर रहे हैं.
क्या है ये प्रोजेक्ट
गांव के लोगों ने बताया कि दरअसल ये फैक्ट्री उनके गांव के ही एक शख्स द्वारा शुरू की जा रही है. वह दिल्ली में रहते थे और वहीं नौकरी करते थे. फिर उन्होंने एक नया प्रोजेक्ट लाने और गांव में एक फैक्ट्री स्थापित करने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि फैक्ट्री का काम पिछले दो साल से चल रहा है, जब उन्हें पता चला कि यह फैक्ट्री गैस बनाएगी तो उन्होंने ऐसे गांवों का दौरा किया, जहां पहले से ऐसी फैक्ट्री लगी हुई है. इसमें घुंगराली राजपूतों का गांव भी शामिल है. उस गांव के लोग अब इतने परेशान हैं कि उन्हें अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है.
गांव वालों ने जताया विरोध
गांव के लोगों ने बताया कि अब सरपंच समेत सभी लोग लगातार इस फैक्ट्री का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री गांव के बीच में नहीं, बल्कि फैक्ट्रियों की जगह पर बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे पास ग्रीन बेल्ट है, कृषि भूमि है. इस जगह पर फैक्ट्री लगाना गैरकानूनी है, क्योंकि हम खेती करते हैं. फैक्ट्री ऐसी जगह लगानी चाहिए, जहां पहले से ही फैक्ट्रियां हों, जहां फोकल प्वाइंट बने हों.
फैक्ट्री का जहरीला धुंआ नुकसानदायक
ग्रामीणों ने कहा कि हमने पहले इसके मॉडल की जांच की है कि ये फैक्ट्रियां कहां स्थापित की गई हैं. वहां के ग्रामीण बीमारियों से पीड़ित होने लगे हैं, क्योंकि इस फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर अपशिष्ट पदार्थों को गैस बनाने के लिए बॉयलर में जलाया जाता है. जब इन्हें बॉयलर में उबाला जाता है तो इससे निकलने वाला अपशिष्ट जल न केवल पृथ्वी को प्रदूषित करता है, बल्कि इससे निकलने वाला जहरीला धुआं भी निकलता है. इससे हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है.
उन्होंने कहा कि हम लोग आसपास के खेतों में खेती करते हैं, हमारे घर उस फैक्ट्री से 200 से 300 मीटर की दूरी पर हैं. ऐसे में इसका सीधा असर हम पर पड़ सकता है. इसके अलावा अगर कोई अप्रिय घटना घट जाती है, गैस रिसाव हो जाता है या किसी भी तरह की आग लगने की घटना हो जाती है, तो हमारी जान-माल का जिम्मेदार कौन होगा?
इस संबंध में कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. मोहतवार ने गांव के लोगों को बताया कि लगातार विरोध के बावजूद फैक्ट्री का निर्माण कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि अगर काम ऐसे ही चलता रहा और फैक्ट्री बनकर तैयार हो गई तो उनके पास अपना गांव बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.
उन्होंने कहा कि इसी वजह से न सिर्फ उन्होंने बल्कि मुश्काबाद, खिरनी और टपरी समेत तीन गांवों ने अपने घरों के बाहर अपने गांव बेचने के पोस्टर लगा दिए हैं. होले महल्ले के दौरान गांव की ओर से चमकौर साहिब मुख्य सड़क पर लंगर लगाया गया था. उन्होंने अपने लंगर के बाहर ये बैनर भी लगाए हैं कि उनका गांव बिक्री के लिए है
ग्रामीण कर रहे मोर्चा की तैयारी
ग्रामीणों ने कहा कि जब गांव रहने लायक नहीं रह जायेगा तो वे गांव में रहकर क्या करेंगे. उनकी जमीनें खेती योग्य नहीं रहेंगी. खेती नहीं होगी तो वे अपना घर खर्च कैसे चलाएंगे. जब बीमारियां फैलेंगी तो उनका यहां रहना मुनासिब नहीं होगा. इसलिए उन्होंने अपने गांव बेचने का फैसला किया है.
ग्रामीणों ने कहा कि अगर इसका समाधान नहीं हुआ तो वे फिर से कड़ा मोर्चा खोलेंगे. जिस तरह आसपास के लोगों ने जीरा फैक्ट्री का विरोध शुरू किया था, उसी तरह हम भी तीन-चार दिनों से इसका विरोध कर रहे हैं. गांव-गांव एकत्र होकर पक्के मोर्चे पर बैठेंगे.
उन्होंने कहा कि शायद यह मामला सरकार तक पहुंचेगा और सरकार इस फैक्ट्री और फैक्ट्री के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी. हालांकि, जब उन्होंने इस संबंध में फैक्ट्री के मालिक से संपर्क करने की कोशिश की, तो ग्रामीणों ने कहा कि वह गांव से बाहर रहते हैं. वे कभी-कभी ही गांव आते हैं. उनका पता नहीं है और न ही फैक्ट्री में कोई मौजूद था.