pilgrimage-बांग्लादेश ढाका के ऐतिहासिक गुरुद्वारे का दर्शन करेगी संगतknow more about it.
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DAILY DOSE NEWS
जमशेदपुर। पड़ोसी देश बांग्लादेश के ढाका में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों का दर्शन जमशेदपुर सहित देश के विभिन्न इलाकों की संगत करेगी। भाजपा युवा सिख नेता सतबीर सिंह सोमू ने बताया कि बांग्लादेश के चटगांव एवं ढाका में प्रथम गुरु नानक देव जी एवं नवें गुरु तेग बहादुर जी गए थे और उनके श्री चरण जहां पड़े थे वहां ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं।
ये समाचार आप गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी, दुपट्टा सागर बिस्टुपुर, नागी मोबाइल कम्यूनिकेशन्स के सहायता से प्राप्त कर रहे हैं।
ਇਹ ਖਬਰ ਤੁਸੀਂ ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੀਤਾਰਾਮਡੇਰਾ,ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸਾਕਚੀ, ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੋਨਾਰੀ, ਦੁਪਟਾ ਸਾਗਰ ਬਿਸਟੁਪੁਰ ਨਾਗੀ ਮੋਬਾਈਲ ਕਮਯੁਨੀਕੇਸੰਸ ਦੇ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਪਾ੍ਪਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਜੀ।
उन्होंने बताया कि पंजाब दिल्ली एवं देश के विभिन्न इलाकों से संगत कोलकाता पहुंचेगी और सभी एक साथ जाएंगे। लौहनगरी से गुरदयाल सिंह, यशवंत सिंह, कृष्णा कौर, मनजीत कौर, रविंदर कौर, सुरजीत कौर, जोगिंदर कौर, राजवंत कौर आदि को टाटानगर में सिरोपा देकर विदा किया गया।
गुरुद्वारा नानक शाही ढाका
बांग्लादेश में प्रमुख सिख गुरुद्वारा है। यह ढाका विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है और इसे देश के 9 से 10 गुरुद्वारों में सबसे बड़ा माना जाता है। गुरुद्वारा गुरु नानक की यात्रा की याद दिलाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे 1830 में बनाया गया
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गुरुद्वारा का निर्माण मूल रूप से भाई नाथा जी द्वारा किया गया था, जो एक मिशनरी थे जो छठे गुरु के समय ढाका आए थे। इमारत 1830 में बनकर तैयार हुई थी। यह गुरुद्वारा श्री गुरु नानक देव जी (1469-1539) के प्रवास की याद दिलाता है। 1988 से 1989 में बांग्लादेश और अन्य देशों में श्री गुरु नानक देव जी के अनुयायियों से प्राप्त योगदान से इमारत का नवीनीकरण किया गया और इसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए बाहरी बरामदे का निर्माण किया गया। यह कार्य सरदार हरबन सिंह के मार्गदर्शन में किया गया।
Present Situation
गुरुद्वारा अच्छी स्थिति में है. पूरी बिल्डिंग पूरी तरह से सफेद रंग की है। 1988-1989 में नवीनीकरण के बाद यह इमारत अब अच्छी निगरानी में है।