Personality-संघर्ष भरा जीवन रहा!वाहेगुरु जी ने सब ठीक कर दिया। know more about this personality

Personality-

संगत जी!
वाहेगुरु जी का खालसा।।
वाहेगुरु जी की फतेह।।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि डेली डोज़ 24×7 की टीम आपको जमशेदपुर के उन लोगों के बारे में अवगत कराने का काम करता है जो समाज के लिए एक मिसाल हैं।
आज हमारी टीम जमशेदपुर के सीतारामडेरा स्थित एक ऐसे गुरुद्वारा साहिब में पहुंचा जो जमशेदपुर के अलावा आसपास के कुछ और शहरों से भी संगत पहुंचती है। चूंकि ये गुरुद्वारा साहिब शहीद बाबा दीप सिंह जी के नाम पर प्रचलित है इसलिए लोग अपनी मुराद लेकर आते हैं और बाबा जी उनकी मुराद पुरी करते हैं।
आज हम आपको इसी गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी सरदार जसवंत सिंह जी के बारे में बतायेगें। बाबा जी का कहना है कि उनके जीवन का शुरुआती दौर बहुत ही संघर्ष मय था।
बाबा जसवंत सिंह जी का जन्म पंजाब के अमृतसर जिले के चोहला साहिब (अब तरन-तारन जिला) में 1-1-1943 को स्वर्गवासी सरदार शिंगारा सिंह के घर हुआ।
बाबा जसवंत सिंह ने बताया कि मैं लगभग 9 वर्ष का था जब मैं सन् 1952 में टाटानगर आया और कुछ समय टाटा रहकर अपने दादा जो जमालपुर ( बिहार) में रेलवे की नौकरी करते थे उनके पास लगभग 10 साल रहकर बचपन वहीं बिताया।
सन् 1962 में मैं वापस पंजाब चला गया और वहाँ रहते हुए अपनी पढ़ाई की

किस गुरुद्वारा साहिब में सेवाएं दीं?
बाबा जसवंत सिंह जी ने बताया कि उन्होंने जमशेदपुर के मानगो गुरुद्वारा साहिब में 2003 में ग्रंथी की सेवा की, उसके बाद तार कंपनी गुरुद्वारा साहिब में 8 साल, टुइलाडूंगरी गुरुद्वारा साहिब में 2 साल, सेवा करने के बाद सन् 2015 से सीतारामडेरा गुरुद्वारा साहिब में लगभग 8 साल से सेवा कर रहे हैं। बाबा जी ने कहा कि
मैं जब टेल्को में काम करता था तब भी मैं संगत को गुरु घर से जोड़ने का प्रयत्न किया करता था। बाबा जसवंत सिंह जी 1970 में खड़ंगाझार में अपना घर बनाया और वहीं रह रहे हैं।
बाबा जसवंत सिंह जी ने अपनी निजी जिंदगी के बारे में बताया कि 2006 में उनकी धर्म पत्नी अपने पीछे
3 बेटियां एवं 2 बेटों को छोड़कर अकाल चलाणां कर गयीं।
जीवन से संघर्ष करते हुए किसी प्रकार बेटियों की शादी पंजाब के अजनाला एवं अमृतसर में कर दी आज वो अपने घरों में खुश हैं। दो बेटों में एक बड़ा बेटा 2010 में अकाल चलाणां कर गया।

उसके बच्चों की जिम्मेदारी भी मेरे कन्धों पर ही आ गयी पर मैं वाहेगुरु जी पर भरोसा करते हुए उसके बच्चों की पढ़ाई करा रहा हूँ।
संगत से मेरा यही कहना है कि आप गुरबाणी पर भरोसा करते हुए अपने जीवन में सच्चे मन से बाणीं से जुड़ें। आप देखेंगे कि आपके जीवन में भी बदलाव जरूर आयेगा। घर में खुशहाली और सम्पन्नता होगी क्योंकि गुरबाणी में बहुत शक्ति है।
दिलचस्प बात।
बाबा जसवंत सिंह जी ने अपने जीवन की एक सच्चाई को बहुत ही निमरता और संकोच करते हुए साझा किया कि लगभग 50 साल पहले मेरा एक्सिडेंट हुआ और बचने की कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन वाहेगुरु जी कृपा से हम बच गए। बाबा जी क्लासिकल साज तुम्बी बजाना भी जानते हैं।
बाबा जसवंत सिंह जी का कहना है कि उनके जीवन में 1964 के बाद बदलाव आया और वो गुरु घर से जुड़े।

बाबा जसवंत सिंह जी को सिख मीडिया और डेली डोज़ 24×7 की ओर से बहुत शुभकामनाएं आप इसी प्रकार पंथ की सेवा करते रहें। वाहेगुरु जी से आपको स्वस्थ जीवन दे यही हमारी कामना है।
धन्यवाद।

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