parkash parv-सीजीपीसी सेंट्रल दिवान में सरदार शैलेन्द्र सिंह को मिला विशेष सम्मान “झारखण्ड की शान”, बिष्टुपुर और टेल्को स्त्री सत्संग सभा को मिला संयुक्त रूप से प्रथम स्थान,know more about
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सिख समाज के कार्यक्रमों में प्रशासन को नहीं करनी पड़ती मशक्कत: लुणायत
गुरुरूप संगत और सभी कमिटियों के आपार सहयोग से रिकॉर्ड श्रद्धालु ने किये पालकी साहिब के दर्शन : भगवान सिंह
सिख समाज के प्रतिष्ठित शख्सियत सरदार शैलेन्द्र सिंह को उनके समाज के प्रति समर्पण और दिल्ली समारोह में राष्ट्रीय दिग्गजों के साथ अटल तिरंगा सम्मान से सम्मानित किये जाने पर उन्हें सीजीपीसी के सेंट्रल दिवान में विशेष सम्मान “झारखण्ड की शान” से नवाजा गया। साकची गुरुद्वारा साहिब में शनिवार को गुरु गोबिंद सिंह के 357वें प्रकाशपर्व के मौके पर निकाले गए नगर कीर्तन में सेवा करने वाले जत्थे, विद्यालय, संस्थाएं, सिख जत्थेबंदियों समेत कई लोगों को सेंट्रल दिवान में सम्मानित किया।
अतिथि के रूप में साकची गुरुद्वारा पहुंचे शहर के नगर पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायत, सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह, चेयरमैन गुरमीत सिंह तोते ने सरदार शैलेन्द्र सिंह को संयुक्त रूप से सम्मानित किया। इस अवसर पर बोलते हुए एसपी (नगर) मुकेश कुमार लुणायत ने जमशेदपुर के सिखों और सीजीपीसी की प्रशंसा करते हुए कहा कि जमशेदपुर के सिख बधाई के पात्र हैं क्योंकि जिला प्रशासन को सिखों के कार्यक्रमों में ज्यादा मशक्क्त नहीं करनी पड़ी
उन्होंने स्वयं ही सुनियोजित और अनुशासनात्मक तरीके, सलीके और शांतिपूर्ण रूप से नगर कीर्तन संपन्न कराया। एसएसपी ने जोर देकर कहा जिस प्रकार नगर कीर्तन में सफाई और अनुशासन का ध्यान रखा गया, यह सबको को प्रेरित करने वाला है।
सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह ने कोल्हान की संगत का आभार प्रकट करते हुए कहा कि संगत और सभी कमिटियों के कारण नगर कीर्तन में बहुतायत संख्या में श्रद्धालुओं ने पालकी साहिब जी के दर्शन किये। इसका पूरा श्रेय गुरुरूप साध संगत को जाता है। वहीं, सम्मान पाकर अभिभूत सरदार शैलेंद्र सिंह कहा कि वे सिख कौम और समाजसेवा के लिए सदैव तत्पर हैं और इसी तरह अंतिम सांस तक सिख कौम तथा समाज की सेवा करते रहेंगे। सरदार शैलेंद्र सिंह ने उपस्थित सभी लोगों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल उनका सम्मान नहीं है बल्कि उनकी तरह सेवाभाव रखने वाले हर एक शख्स का हक इस सम्मान पर है।
ये समाचार आप गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी जमशेदपुर, दुपट्टा सागर,बिस्टुपुर, नागी मोबाइल कम्युनिकेशंस के सहयोग से प्राप्त कर रहे हैं।
भगवान सिंह ने कहा कि किसी सिख प्रतिनिधि का देश की राजधानी में सम्मान होना केवल जमशेदपुर ही नहीं बल्कि पुरे झारखंडवासियों के लिए गौरवमयी पल हैं।
सम्मान समारोह और पुरस्कार वितरण कार्यक्रम से पूर्व अरदास उपरांत सुबह 10 बजे सेंट्रल दीवान सजा जहाँ रागी गुरप्रीत सिंह निक्कू सुबह दस बजे से दस पैंतालीस तक व दस पैंतालीस से साढ़े गयारह बजे तक भाई साहब भाई सुजीत सिंह जी गुरमीत सिंह जी का कविश्री जत्था (टाटानगर वाले) गुरवाणी-कीर्तन कर संगत को गुरु चरणों से जोड़े रखा। जबकि सरदार सुरजीत सिंह साढ़े ग्यारह से सवा बारह बजे तक संगत को गुरु ग्रन्थ साहिब की बाणी से निहाल किया।
साढ़े बारह बजे से पुरस्कार वितरण कार्यक्रम शुरू हुआ जहाँ सभी को सम्मानित और पुरस्कृत किया गया। तरनप्रीत सिंह बन्नी को पालकी साहिब के सटीक देख रेख और जोगिन्दर सिंह जोगी को पालकी साहिब के पुष्प सेवा के लिए सम्मानित किया गया। वहीँ राजकमलजीत सिंह और संदीप सिंह को दस्तार को बढ़ावा देने, प्रवक्ता बलजीत संसोआ, रघुबीर सिंह, अकाली दल, विभिन्न स्त्री सत्संग सभा, कीर्तनी जत्थे, गतका टीम, सेंट्रल सिख नौजवान सभा और अन्य को पुरस्कृत क्या गया। मंच का संचालन महासचिव अमरजीत सिंह ने किया।
नगर कीर्तन के विजेता इस प्रकार हैं। विधालय (हाई स्कूल): 1 मानगो, 2 साकची, 3 टिनप्लेट, 4 बर्मामाइंस, विधालय (मिडिल स्कूल): 1 मानगो और बिस्टुपुर, 2 टेल्को और बर्मामाइंस, 3 साकची, 4 रिफ्यूजी कॉलोनी, धार्मिक विधालय: 1 नामदा बस्ती, 2 टुइलाडूंगरी, 3 बारीडीह, (कीर्तनी जत्था): 1 दशमेश कीर्तन जत्था और नामदा बस्ती जत्था, (स्त्री सत्संग सभा): 1 जी टाउन बिस्टुपुर और टेल्को, 2 मनीफिट, मानगो और बर्मामाइंस 3 टिनप्लेट, 4 साकची (A) और साकची (B) 5 रामदासभट्टा और सीतारामडेरा।
भगवान सिंह के अलावा चेयरमैंन सरदार शैलेंद्र सिंह, चेयरमैंन गुरमीत सिंह तोते, साकची के प्रधान निशान सिंह, वरिय उपाध्यक्ष नरेंद्रपाल सिंह, चंचल सिंह, कोषाध्यक्ष गुरनाम सिंह बेदी, कुलविंदर सिंह पन्नू, परमजीत सिंह काले, सुखदेव सिंह बिट्टू, नौजवान सभा के अमरीक सिंह, सुरेंदर सिंह छिंदे, जसवंत सिंह जस्सू, सुरजीत सिंह खुशीपुर, परबिंदर सिंह सोहल, जगतार सिंह नागी, गुरचरण सिंह भोगल, गुरशरण सिंह, हरमिंदर सिंह मिंदी, जसवंत सिंह, जोगा सिंह, हरजिंदर सिंह, चंचल भाटिया, अर्जुन वालिया आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।