jamshedpur-क्या चाहते हैं किसान? सरल भाषा में समझें।know more about it.
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सबसे पहले बताना चाहेंगे कि आंदोलन कर रहे किसान आतंकी नहीं है। जो लोग उन्हें आतंकवादी समझ रहे हैं।उनको मैं बताना चाहता हूँ कि वो भारतीय किसान और मजदूर हैं।जो अपने अधिकार लेने के लिए अपना घर परिवार काम- काज छोड़कर सड़कों पर भटक रहे हैं। इसलिए उन्हें आतंकवादी कहना बंद करें।
भारतीय इतिहास में बड़े बड़े आंदोलन हुए हैं। देश को आजाद कराने के लिए भी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन हुए उन आजादी के परवानों को क्या हम आतंकवादी कह सकते हैं?
ਇਹ ਖਬਰ ਤੁਸੀਂ ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸਾਕਚੀ, ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੋਨਾਰੀ, ਦੁਪਟਾ ਸਾਗਰ ਬਿਸਟੁਪੁਰ ਨਾਗੀ ਮੋਬਾਈਲ ਕਮਯੁਨੀਕੇਸੰਸ ਦੇ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਪਾ੍ਪਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਜੀ।
2021-22 में लगभग 1 साल के लम्बे आंदोलन के बाद किसान मोदी सरकार से काले कृषि कानून रद्द करवाने में कामयाब रहे थे। अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसान फिर अपनी मांग के लिए सड़क पर उतर आए हैं। किसान शांति के साथ आंदोलन कर रहे हैं। जो कि उनके संवैधानिक अधिकार है। उन गरीब किसान मजदूरों पर सरकार द्वारा आंसू गैस के गोले दागना, उनपर बल प्रयोग करना न्यायोचित नहीं है।
मोदी सरकार ने हाल ही में किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न अवॉर्ड देने का ऐलान किया। क्या ये सिर्फ किसानों की सहानुभूति पाने के लिए ऐलान किया गया है। लेकिन मोदी सरकार का ये दांव फेल हो गया। क्योंकि किसान यूनियनों ने मोदी सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। नवंबर 2021 में किसानों ने आंदोलन खत्म कर दिया था। लेकिन अब दो साल बाद फिर वो सड़कों पर हैं।
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jamshedpur-अब आप किसानों की मांग को सरलता से समझें कि क्या चाहते हैं किसान।
2021 के आंदोलन की तरह ही इस बार भी अपनी मांगों के लिए किसान विरोध प्रदर्शन के लिए उतर रहे हैं. खास तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना उनकी सबसे बड़ी मांग है.
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि वह केंद्र सरकार को सिर्फ उनके दो साल पहले किए गए वादों को याद दिलाना चाहते हैं जो किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते हुए सरकार ने किए थे. वो वादे अबतक पूरे नहीं हुए हैं. सरकार ने एमएसपी पर गारंटी का वादा किया था. किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही थी.
2021 में लखीमपुरी खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे चार सिख किसानों को गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गाड़ी ने कुचल दिया था. उस घटना में मारे गए लोगों के परिवार को नौकरी और दोषियों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं.