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साक्ची गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के समस्त पदाधिकारियों ने कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी को दी श्रद्धांजलि।

जमशेदपुर: शहर के मुख्य गुरुद्वारा साहिब साक्ची गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के समस्त पदाधिकारियों ने झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए। अपने प्राणों की आहुति दी। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक व्यक्त किया। और उनके परिवार को अकालपुरख का भांणा मानने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।

इस अवसर पर साक्ची गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार निशान सिंह ने कहा कि सिख समुदाय को कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी पर गर्व है। जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा सिख समुदाय उनके साथ खड़ा है। भविष्य में भी परिवार को जब भी जरूरत होगी। सिख समाज उनके साथ खड़ी है।

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बताते चलें कि,जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LOC) के पास आईईडी विस्फोट में जान गंवाने वाले कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी का पार्थिव शरीर बुधवार की शाम सेना के विशेष विमान से रांची लाया गया. इसके बाद एयरपोर्ट परिसर में ही श्रद्धांजलि स्थल पर शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया.

साक्ची गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव सरदार परमजीत सिंह काले ने कहा कि जब कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का पार्थिव शरीर उनके माता निलू बक्शी ने देखा तो उन्होंने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा बक्शा गया जयकारा “बोले सो निहाल, सतश्री अकाल” का जयकारा बुलंद किया। इससे यह प्रतीत होता है कि सिख समुदाय दुख की घड़ी में भी उसी एक परमेश्वर की होनी को ही मानता है। और उनकी माता जी को भी अपने इस सपूत पर गर्व है।

उन्होंने झारखण्ड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष सरदार ज्योति सिंह मथारु का भी धन्यवाद किया जिन्होंने झारखंड सरकार एवं सिख प्रतिनिधि के तौर पर कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी के परिवार के इस दुख की घड़ी में शामिल होकर संवेदना व्यक्त की।

अप्रैल में होने वाली थी शादी

जानकारी के अनुसार, शहीद कमरजीत का परिवार हजारीबाग के जुलू पार्क के पास रहता है. उनके पिता का नाम अजिंनदर सिंह बक्शी और मां का नाम नीलू बक्शी है. शहादत से हजारीबाग में शोक की लहर है. कैप्टन सरदार करमजीत सिंह बक्शी अपने घर के बड़े बेटे थे. पांच अप्रैल को उनकी शादी होने वाली थी.

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