jamshedpur- शहीद बाबा दीप सिंह जी गुरुद्वारा सीतारामडेरा में लड़ीवार गुरमत समागम कल।know more about it.
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जमशेदपुर स्थित शहीद बाबा दीप सिंह जी गुरुद्वारा साहिब सीतारामडेरा में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव सरदार अविनाश सिंह खालसा एवं अन्य पदाधिकारियों के सौजन्य से लड़ीवार साप्ताहिक गुरमत समागम का उपराला निरंतर जारी है। जोकि जमशेदपुर की संगत को अपने धर्म के प्रति जागरूक करने में काफी सहायक सिद्ध हो रहा है। स्थानीय संगत कमेटी के इस उपराले से काफी खुश है।
ये समाचार आप गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी, दुपट्टा सागर बिस्टुपुर, के सहायता से प्राप्त कर रहे हैं।
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इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कल यानी शनिवार 15:6:2024 को गुरुद्वारा साहिब में गुरमत विचार कार्यक्रम का आयोजन शाम 7 बजे से 8 बजे तक रहिरास साहिब के पाठ के उपरांत होगा। जिसमें शहर के जाने माने किर्तनीए एवं कथावाचक भाई जसपाल सिंह जी रिफ्यूजी कॉलोनी वाले अपने विचार रखेंगे।
इस हफ्ते कथा के विषय के बारे में सवाल पुछने पर भाई जसपाल सिंह जी ने डेली डोज़ न्यूज़ चैनल को बताया कि इस बार पाखंड के विषय पर चर्चा की जाएगी। आज के भौतिक समाजिक दुनिया में लोग पाखंड की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। जबकि गुरबाणी कहती है कि ” जो गुर कहे, सोई भल हमरो ” इस महावाक्य के अनुसार व्यक्ति को किसी पाखंड में न जाकर जो गुरबाणी कहती है उसी में अपनी भलाई जानकार जीवन का निर्वाह करना चाहिए।
सो, इस सप्ताह का गुरमत विचार बहुत ही दिलचस्प होगा। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से संगत को विनम्र आग्रह किया गया है कि समय पर पहुँच कर गुरमत विचार से जुड़े और अपना जीवन सफल करे।
आईए जानते हैं भाई जसपाल सिंह जी के बारे में।
भाई जसपाल सिंह जी का प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व।
भाई जसपाल सिंह जी का जन्म 20 अक्तूबर सन् 1973 ई. में जमशेदपुर के रिफ्यूजी कॉलोनी निवासी एक सहजधारी पंजाबी परिवार में हुआ,बचपन से ही अध्यात्मिक विचार रखने वाले जसपाल छाबड़ा सहजधारी होने के बावजूद गुरबाणी और गुरु घर से जुड़ाव रखते थे। वह बताते हैं कि उनके परिवार में सिर्फ एकमात्र वही सिखी स्वरूप में हैं। बाकी उनके नानका एवं दादका परिवार में सभी सहजधारी हैं। ऐसे विपरीत वातावरण में रहते हुए अपने आप को गुरसिखी जीवन से जोड़ कर रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
जसपाल छाबड़ा सनातन धर्म में रहते हुए 1991 से ही गुरबाणी किर्तन की ओर आकर्षित हुए और खुद से ही किर्तन गायन शुरू कर दिया था।
ਇਹ ਖਬਰ ਤੁਸੀਂ ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੀਤਾਰਾਮਡੇਰਾ,ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸਾਕਚੀ, ਗੁਰੂਦਵਾਰਾ ਪ੍ਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਸੋਨਾਰੀ, ਦੁਪਟਾ ਸਾਗਰ ਬਿਸਟੁਪੁਰ ਦੇ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਪਾ੍ਪਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਜੀ।
वह गुरबाणी किर्तन करते हुए और सिख धर्म से प्रभावित होकर गुरु जी की कृपा से सन् 2017 में तख्त श्री पटना साहिब जाकर अमृतपान करके जसपाल छाबड़ा से सरदार जसपाल सिंह बने।
उन्होंने डेली डोज़ न्यूज़ चैनल के संवाददाता को एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि वह अब तक 10 प्राणियों को अमृतपान करने के प्रेरित करते हुए उन्हें अमृतपान करवा चुके हैं।
भाई जसपाल सिंह जी सिख समुदाय के लिए खासकर सिख युवाओं के लिए एक मिसाल है। और इनका कार्य सराहनीय है।