jamshedpur-गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिहाड़ा केवल मीठे पानी और चना-शरबत का पर्व नहीं है.

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शहीदी पर्व को ‘चना-शरबत का पर्व’ कहना, सर्वोच्च बलिदान की तौहीन है: जमशेदपुरी

माताएं-बहनें बच्चों को बताएं गुरु अर्जुन देव जी की महान शहीदी का इतिहास: हरविंदर

जमशेदपुर के युवा सिख धर्म प्रचारक और विचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कड़े शब्दों में आपत्ति जताते हुए कहा है कि सिखों के प्रथम शहीद पांचवे गुरु सच्चे पातशाह श्री अर्जुन देव जी के शहादत दिहाड़े को चना-शरबत का पर्व कहना गुरु साहब की शान में गुस्ताखी है और उनकी सर्वोच्च शहीदी का सरासर अपमान है।
शुक्रवार को बयान जारी करते हुए विचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कहा कि केवल सिख ही नहीं अन्य समुदाय के लोगों को भी जागरूक करने की आवशयकता है कि गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिहाड़ा केवल मीठे पानी और चना-शरबत का पर्व का पर्व नहीं है, इसके गूढ़ता का इतिहास को जानने जी जरुरत है।

अपने बच्चों को गुरु अर्जुन देव जी की महान शहीदी का इतिहास अवश्य बताएं.

उन्होंने कहा आज के डिजिटल युग में पूरी जानकारी इंटरनेट पर भी उपलब्ध है, माताएं एवं बहने अपने बच्चों को गुरु साहब के इतिहास से जरुर अवगत कराएं। ज्ञानी हरविंदर ने माताओं और बहनों के लिए विशेष सन्देश में कहा कि वे, अपने बच्चों को गुरु अर्जुन देव जी की महान शहीदी का इतिहास अवश्य बताएं ताकि उन्हें अपने गौरवशाली विरासत का ज्ञान हो। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास केवल पुस्तकों में नहीं, घरों की बातचीत में भी जीवित रहना चाहिए।
हरविंदर सिंह जमशेदपुरी का कहना है, सिख इतिहास के गौरवशाली अध्याय और प्रथम शहीद श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज की शहादत बलिदान, अन्याय, अत्याचार और धार्मिक असहिष्णुता के विरुद्ध अडिग खड़े रहने का प्रतीक है, जिसे केवल शीतल पेय वितरण तक सीमित करना इतिहास की गंभीर अवमानना है।
उन्होंने कहा कि यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि मानवता की रक्षा के लिए गुरु साहिब ने गर्म तवे पर बैठकर, खौलते रेत सर पर डाले जाने की यातना सहकर जो बलिदान दिया, वह मानवता की रक्षा के लिए प्रेरणास्रोत है।

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