jamshedpur-गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी को स्मरण करते हुए करें सहज पाठ: जमशेदपुरी

jamshedpur
SIKH MEDIA JAMSHEDPUR
शहीदी नगर कीर्तन के दर्शन के साथ-साथ सहज पाठ ही सच्चा नमन होगा गुरु साहब को: हरविंदर
ये समाचार आप सरदार सुरेन्द्र पाल सिंह जी “टिटू” स्टेट चेयरमैन बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया ( झारखंड राज्य) गुरु रामदास सेवा दल सोनारी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नामदा बस्ती,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सरजामदा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टिनप्लेट, गौरीशंकर रोड स्त्री सत्संग सभा प्रधान बीबी इंद्रजीत कौर,दुपट्टा सागर बिस्टुपुर के सौजन्य से प्राप्त कर रहे हैं।

झारखंड के युवा सिक्ख धर्म प्रचारक, विचारक और चिंतक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कोल्हान की सिख संगत को आह्वान करते हुए कहा है कि नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी की मानवता के लिए की गई शहीदी को याद कर अपने घरों में सहज पाठ करें।

शनिवार को संगत को आह्वान करते हुए जमशेदपुरी ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिहाड़ा न केवल आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक है बल्कि समुदाय की एकता और सेवा भावना को भी दर्शाता है जो श्रद्धालुओं के मन में अलौकिक शांति और भक्ति का संचार करेगा।
प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने इस अवसर पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी केवल एक तिथि नहीं बल्कि हमारी आत्मा का उत्सव है। उनके बलिदान ने हमें सिखाया कि सत्य और धर्म के लिए प्राणों की आहुति देना ही असली जीवन है। इस 350वें वर्ष में सबों को उनके दिखाए मार्ग पर चलकर मानवता की सेवा में जुटना चाहिए।

हरविंदर सिंह जमशेदपुर ने कहा इस अवसर पर सभी सिक्ख परिवार अपने अपने घरों में सहज पाठ की आरम्भता करें और पूरे श्रद्धा भाव के साथ संपूर्णता करें, यही गुरु साहब के बलिदान को सच्चा नमन होगा।
जमशेदपुर ने आगे कहा, गुरु साहब जी की शिक्षाएं हमें अंधेरे से उजाले की ओर ले जाती हैं, और यह पर्व हमें अपने भीतर की शक्ति को जगाने का अवसर देता है।
जमशेदपुरी ने कहा टाटानगर पहुँच रहे शहीदी नगर कीर्तन का दर्शन अवश्य करें और दूसरों को भी प्रेरित करें परंतु सहज पाठ भी जरूर करें।
इस उत्सव को धार्मिक रस से ओतप्रोत करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम शबद कीर्तन में डूबते हैं, तो ऐसा लगता है मानो गुरु जी स्वयं हमारे बीच विराजमान हों। यह समय है जब हम अपने हृदय को शुद्ध कर उनके प्रेम और बलिदान के रंग में रंग जाएं।
