Punjab Hola Mohalla 2023:पंजाब में क्यों मनाते है होला मोहल्ला?Know the epic history of Punjab
Know the epic history of Punjab: सन् 1700 में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस मेले की शुरुआत की थी ! होला मोहल्ला के इतिहास की बात करें तो होला मोहल्ला खालसा पंथ के राष्ट्रीय पर्व का प्रतीक है, श्री केसगढ़ साहिब में धार्मिक परंपराओं के साथ मनाया जाता है! होला एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है लोक भलाई के लिए लड़ना और मोहल्ला का अर्थ है विजय प्राप्त करने के बाद बसने का स्थान!
सिखों का सबसे बड़ा त्यौहार है होला मोहल्ला, खालसा पंथ द्वारा आनंदपुर साहिब में दिखाया जाता है वीरता का रंग!:Speciality of Punjab
होला मोहल्ला 2023 को लेकर श्री आनंदपुर साहिब में देश विदेश से संगत जुटने लगी है, इसको लेकर प्रशासन की तरफ से भी सभी प्रबंध किए जा चुके हैं, अधिकारियों की ड्यूटीयां लगाई गयी हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो!

इस तरह से हुई होला मोहल्ला पर्व की शुरुआत!– In Anandpur Sahib -Punjab
होली को ही होला मोहल्ला कहा जाता है, पंजाब में सिखों के पवित्र धर्म स्थान श्री आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला मेले का आयोजन किया जाता है! इस पर्व में होली पर पहले फुल और फुल से बने रंगों को एकदुसरे पर डालने की परंपरा थी लेकिन बाद में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस त्यौहार को शौर्य के साथ जोड़ कर सिख कौम को सैन्य प्रशिक्षण करने का आदेश दिया उन्होंने सिखों को दो दलों में बांटकर एक दुसरे से छद्म युद्ध करने की आदेश दिया जिसमें खास तौर पर उनकी लाडली फौज निहंगों को शामिल किया गया, जो घुड़सवारी करते हुए शस्त्रों को चलाने का अभ्यास करते थे
इस प्रकार तब से लेकर अब तक होला मोहल्ला के पावन पर्व पर शौर्य और वीरता का रंग देखने को मिलता है, इस पर्व में शामिल होने के लिए देश विदेश से लाखों लोग श्री आनंदपुर साहिब की धरती पर पहुंचते हैं!

खास बात
होला मोहल्ला पर्व पर पंजाब में श्री आनंदपुर साहिब जाने वाले रास्तों पर बहुत सारी संस्थाओं द्वारा लंगर की सेवा की जाती है यात्रियों के ठहराव के लिए हाइवे पर आधुनिक सुविधाओं से लैस टेंट लगाया जाता है इसमें रहने से लेकर खाने पीने के इन्तजाम 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं!
सो यदि आपका कार्यक्रम भी पंजाब जाने का हो तो आप श्री आनंदपुर साहिब की पवित्र धरती पर जरूर जायें और वीरता का पर्व होला मोहल्ला में शामिल हों