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गुरमीत होटल में लगा छबील, ईचागढ़ विधायक श्रीमती सविता महतो ने की सेवा।

आज दिनाँक 22 05 23 दिन सोमवार सुबह 11 बजे गुरमीत सिंह ग्रेवाल जी के कादंरबेरा स्थित नेशनल हाइवे पर गुरमीत होटल में शहीदों के सरताज श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहादत दिवस के पावन पर्व पर राहगीरों की सेवा चना प्रसाद और ठंडा मीठा जल से की गई। जिसमें ईचागढ़ की विधायक श्रीमती सविता महतो जी ने अपने हाथों से सेवा की साथ में कमलजीत कौर गिल नेत्री झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जसवंत सिंह भोमा और गुरमीत सिंह का परिवार ने भी सेवा की। कार्यक्रम की शुरुआत साकची गुरुद्वारा साहिब के महिंदर पाल सिंह ने गुरु चरणों में अरदास करके शुरुआत की।

सिख समाज के लोग क्यों बांटते हैं छबील ?
सिख समुदाय के लोग पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहादत की याद में पुरी दुनिया में हर साल छबील बांटते हैं जिसमें ठंडा मीठा शरबत, लस्सी के साथ चने का प्रसाद भी बांटा जाता है।
दर असल यह बात सन् 1606 ईस्वी के म ई महिने की लाहौर की है। उस वक्त हिन्दुस्तान में मुगल बादशाह जहांगीर का शासन था। सिख धर्म के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने सन् 1604 इस्वी में भाई गुरदास जी के मदद से श्री गुरु ग्रंथ साहिब को संपादित किया।
उन दिनों बादशाह जहांगीर श्री गुरु ग्रंथ में लिखी हुई बाणी को इस्लाम धर्म के विरुद्ध मानता था। और वो गुरु अर्जुन देव जी को बोलता था कि गुरु ग्रंथ में से कुछ बाणी को हटाकर मोहम्मद साहब की स्तुति लिखे किन्तु गुरु अर्जुन देव जी ने इससे स्पष्ट इंकार कर दिया। इससे खफा हो कर जहांगीर ने गुरुजी को कैद कर लिया और मृत्यु दंड का आदेश जारी किया।
लाहौर के भीषण गर्मी में गर्म तवे पर बैठाकर सिर पर गर्म रेत डाल कर उन्हें शहीद किया गया।
तरनतारन में जन्मे श्री गुरु अर्जुन देव जी सिख धर्म के पहले शहीद गुरु थे। जिन्हें मुगल बादशाह जहांगीर ने मृत्यु दंड दिया था।
तब से आजतक सिख समुदाय के लोग श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी के याद में ठंडा छबील का वितरण राहगीरों और संगत में करते हैं।

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