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jamshedpur-कलगीधर गुरुद्वारा साहिब टुईलाडुंगरी में बंदीछोड़ दिवस एवं दिवाली धूमधाम से मनाया गया।

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jamshedpur

SIIKH MEDIA JAMSHEDPUR

बंदीछोड़ दिवस एवं दिवाली के अवसर पर धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन

ये समाचार आप सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जमशेदपुर,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सोनारी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मानगो,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टुईलाडुंगरी, सरदार सुरेन्द्र पाल सिंह जी “टिटू” स्टेट चेयरमैन बिल्डर्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया ( झारखंड राज्य) देशी डिलाइट्स,रिफ्यूजी कालोनी, बीबी इंद्रजीत कौर( President Istri Satsang Sabha Gourishanker Road) गुरु रामदास सेवा दल सोनारी,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साक्ची,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नामदा बस्ती,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सरजामदा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीतारामडेरा,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी टिनप्लेट,दुपट्टा सागर बिस्टुपुर के सौजन्य से प्राप्त कर रहे हैं।

जमशेदपुर:शहर के टुईलाडुंगरी स्थित कलगीधर गुरुद्वारा साहिब में बंदीछोड़ दिवस के अवसर पर धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस संबंध में टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार सतबीर सिंह ने मीडिया को बताया कि इस मौके पर गुरुद्वारा साहिब में आतिशबाजी एवं दीपमाला किया गया। और गुरबाणी शबद किर्तन एवं कथा विचार का प्रोग्राम हुआ। और सैकड़ों की संख्या में संगत ने हाजरी भरकर गुरु महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस मौके पर कमेटी के सभी पदाधिकारी मौजूद थे।
बताते चलें कि टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा साहिब में नवनियुक्त प्रधान सरदार सतबीर सिंह के नेतृत्व में समाजिक व धार्मिक कार्यक्रम को बढ़ावा दिये जाने व सभी को साथ लेकर चलने से स्थानीय संगत में काफी खुशी देखी जा रही है। और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की जा रही है।

बंदीछोड़ दिवस का इतिहास एवं महत्व।

गुरु हरगोबिंद साहिब के पिता गुरु अर्जुन देव को मुगल सम्राट जहांगीर के आदेश के तहत गिरफ्तार किया गया था और उन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए कहा गया था।  उनके इनकार के कारण 1606 ई. में उन्हें यातना दी गई।  यह घटना भारत और सिखों के इतिहास में गुरु अर्जन की शहादत के रूप में एक निर्णायक क्षण है।

गुरु हरगोबिंद को 24 जून 1606 को, 11 वर्ष की आयु में, छठे सिख गुरु के रूप में ताज पहनाया गया। अपने उत्तराधिकार समारोह में, उन्होंने दो तलवारें धारण कीं: एक ने आध्यात्मिक अधिकार ( पीरी ) बनाए रखने के उनके संकल्प का संकेत दिया और दूसरी ने, उनके लौकिक अधिकार ( मीरी ) का। गुरु हरगोबिंद मुगल शासन के उत्पीड़न के विरोधी थे। उन्होंने सिखों और हिंदुओं को हथियार उठाकर लड़ने की सलाह दी। जहाँगीर के हाथों अपने पिता की मृत्यु ने उन्हें सिख समुदाय के सैन्य आयाम पर ज़ोर देने के लिए प्रेरित किया।

जहाँगीर द्वारा गुरु को ग्वालियर किले में कैद करने के विभिन्न विवरण मौजूद हैं। एक विवरण के अनुसार, जब लाहौर के नवाब मुर्तजा खान ने देखा कि गुरु ने अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब, ‘सर्वशक्तिमान का सिंहासन’, का निर्माण करवाया है और अपनी सेना को भी मजबूत कर रहे हैं, तो उन्होंने मुगल सम्राट जहाँगीर को इसकी सूचना दी। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सिख गुरु अपने पिता की यातना और शहादत का बदला लेने की तैयारी कर रहे हैं। जब जहाँगीर को इस बारे में पता चला, तो उसने तुरंत वज़ीर खान और गुंचा बेग को गुरु हरगोबिंद को गिरफ्तार करने के लिए अमृतसर भेजा।

लेकिन वजीर खान, जो गुरु हरगोबिंद का प्रशंसक था, ने उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय गुरु से अनुरोध किया कि वे उनके साथ दिल्ली चलें और उन्हें बताएं कि सम्राट जहांगीर उनसे मिलना चाहते हैं। युवा गुरु ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और जल्द ही दिल्ली पहुंचे, जहां जहांगीर ने उन्हें 1609 में GWALIOR में नजरबंद कर दिया। एक अन्य संस्करण में गुरु हरगोबिंद के कारावास की बात इस बहाने से की गई है कि गुरु अर्जन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान सिखों और गुरु हरगोबिंद ने नहीं किया था। यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने कैदी के रूप में कितना समय बिताया। उनकी रिहाई का वर्ष 1611 या 1612 प्रतीत होता है, जब गुरु हरगोबिंद लगभग 16 वर्ष के थे।

 फारसी रिकॉर्ड, जैसे दबिस्तान ए मजाहिब बताते हैं कि उन्हें ग्वालियर में 1617 और 1619 के बीच जेल में रखा गया था.गुरु हरगोबिन्द साहिब के कैद के दौरान जब मुगल बादशाह जहांगीर को गुरु साहिब के रुहानियत का अहसास हुआ तो जहांगीर को बहुत पछतावा हुआ और उसने श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी को रिहा करने के आदेश जारी कर दिए। किंतु उस समय ग्वालियर के किले में अन्य 52 हिन्दू राजा भी कैदी थे। गुरु जी के कहने पर जहांगीर ने उन्हें भी रिहा कर दिया। कुछ वृत्तांतों के अनुसार, गुरु हरगोबिंद अपनी रिहाई के बाद अमृतसर गए, जहाँ लोग दिवाली का त्योहार मना रहे थे। सिख इतिहास की इस महत्वपूर्ण घटना को अब बंदी छोड़ दिवस के रूप में जाना जाता है ।


jamshedpur-कलगीधर गुरुद्वारा साहिब टुईलाडुंगरी में बंदीछोड़ दिवस एवं दिवाली धूमधाम से मनाया गया।


jamshedpur-कलगीधर गुरुद्वारा साहिब टुईलाडुंगरी में बंदीछोड़ दिवस एवं दिवाली धूमधाम से मनाया गया।


jamshedpur-थाना प्रभारी कुणाल कुमार हुए सम्मानित.


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